होली पर लगने वाला चंद्र ग्रहण

साल 2026 कई मायनों में खास रहने वाला है। इस साल रंगों के पर्व होली पर लगभग 100 साल बाद चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। 3 मार्च 2026 को होलिका दहन के दिन पहला चंद्र ग्रहण लगेगा, जिसका प्रभाव भारत के कई हिस्सों में देखा जाएगा। इसी कारण इस दिन सूतक काल भी मान्य रहेगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार होली जैसे बड़े पर्व पर चंद्र ग्रहण का पड़ना बेहद दुर्लभ संयोग माना जा रहा है।
साल 2026 का यह पहला चंद्र ग्रहण पूर्णिमा तिथि पर लगेगा, जो होलिका दहन का मुख्य दिन होता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार ग्रहण चाहे पृथ्वी के किसी भी हिस्से में लगे, उसका प्रभाव मनुष्य, पशु पक्षी, प्रकृति और पूरे विश्व पर पड़ता है। इस ग्रहण के दौरान चंद्रमा सिंह राशि में केतु के साथ स्थित रहेगा, जिससे विशेष रूप से सिंह राशि वालों पर इसका प्रभाव पड़ने की मान्यता है।
चंद्र ग्रहण 3 मार्च को दोपहर 3 बजकर 20 मिनट से शुरू होकर शाम 6 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। इसकी कुल अवधि करीब 3 घंटे 27 मिनट की होगी। यह खंडग्रास चंद्र ग्रहण होगा, जो भारत में दिखाई देगा। इसी वजह से ग्रहण लगने से करीब 9 घंटे पहले सूतक काल लागू हो जाएगा। हालांकि खास बात यह है कि भारत में चंद्रोदय से पहले ही ग्रहण समाप्त हो जाएगा, इसलिए इसे ग्रस्तोदय ग्रहण भी कहा जा रहा है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूतक काल के दौरान मंदिरों के कपाट बंद रखे जाते हैं और शुभ कार्यों को टाल दिया जाता है। माना जाता है कि सूतक का प्रभाव विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं, बच्चों और बीमार लोगों पर अधिक होता है, हालांकि कई परिवार परंपरा के अनुसार नियमों का पालन करते हैं।
वैज्ञानिक दृष्टि से चंद्र ग्रहण एक सामान्य खगोलीय घटना है। जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में आ जाते हैं और पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है, तब चंद्र ग्रहण होता है। वैज्ञानिक इसे पूरी तरह सुरक्षित प्राकृतिक प्रक्रिया मानते हैं, लेकिन भारत जैसे आस्था प्रधान देश में त्योहारों के साथ ग्रहण का संयोग भावनात्मक और धार्मिक दृष्टि से अधिक महत्व रखता है।
साल 2026 में कुल चार ग्रहण लगेंगे। पहला सूर्य ग्रहण 17 फरवरी को और दूसरा सूर्य ग्रहण 12 अगस्त को लगेगा, लेकिन दोनों ही भारत में दिखाई नहीं देंगे। पहला चंद्र ग्रहण 3 मार्च को भारत में दिखाई देगा, जबकि दूसरा चंद्र ग्रहण 28 अगस्त को लगेगा, जो भारत में नजर नहीं आएगा।
इस तरह न केवल धार्मिक बल्कि खगोलीय दृष्टि से भी वर्ष 2026 को खास बना रहा है।
