मांडल तालाब की पाल टूटी, दो घंटे तक नहीं पहुंचा कोई जिम्मेदार, ग्रामीणों में आक्रोश

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भीलवाड़ा। जिले के प्रमुख जलस्रोतों में शुमार मांडल तालाब एक बार फिर खतरे की जद में आ गया है। शनिवार को तालाब की पाल का एक हिस्सा टूट गया, जिससे क्षेत्र में दहशत का माहौल बन गया। हैरानी की बात यह रही कि घटना की जानकारी मिलने के बावजूद न तो प्रशासन का कोई अधिकारी और न ही जल संसाधन विभाग का कोई जिम्मेदार दो घंटे तक मौके पर पहुंचा।

जल संरक्षण समिति के अध्यक्ष जगदीश चौधरी ने बताया कि उन्होंने कुछ सप्ताह पहले ही तालाब की जर्जर स्थिति को लेकर अधिकारियों को आगाह किया था। बावजूद इसके कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। उनका कहना है कि यदि समय रहते निरीक्षण कर लिया जाता तो कमजोर हिस्से की मरम्मत संभव थी।

मालूम हो कि करीब 90 साल पहले भी मांडल तालाब टूटने से बड़ी तबाही मची थी। पानी का बहाव इतना तेज था कि रेलवे ट्रैक तक प्रभावित हो गया था। अब दोबारा ऐसे हालात बनने की आशंका से कस्बे सहित आसपास के गांवों में भय का माहौल है।

घटना के बाद बड़ी संख्या में ग्रामीण तालाब क्षेत्र में एकत्र हो गए और विभागीय लापरवाही पर नाराजगी जताई। लोगों का कहना है कि प्रशासन की अनदेखी से एक बड़ी दुर्घटना हो सकती थी। उन्होंने मांग की कि पाल की मरम्मत शीघ्र कराई जाए और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हो।

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