तनख्वाह सरकार की नौकरी नेताओं की

तनख्वाह सरकार की नौकरी नेताओं की
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मांडल / सुरेन्द्र सागर :: नायाब तहसीलदार और पटवारी द्वारा जिला मजिस्ट्रेट कोर्ट में विचाराधीन मामले में लोकल नेताओं के दबाव में आकर एक परिवार के लोगों को डराने धमकाने के साथ ही उनका कब्जा हटवाने की कार्यवाही करने का मामला सामने आया हैं ।

बे-नामी बिला नाम भूमि पर 50 वर्षों से पशुओं के लिए बाड़ा बनाकर वहां कब्जा काबिज़ कालू लाल , कैलाश सहित दो अन्य के परिवार को मांडल नायब तहसीलदार लक्ष्मी लाल ओर मांडल पटवारी द्वारा नियमों से परे जाकर कस्बे के हाइवे बाईपास 158 पर स्थित बिला नाम भूमि पर 50 वर्षों से अधिक समय से काबिज परिवार को डराने धमकाने के साथ ही उनका कब्जा हटवाने का मामला सामने आया हैं ।

नायब तहसीलदार लक्ष्मी लाल से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि ये कार्यवाही मांडल कस्बे के स्थानीय लोकल भाजपा कार्यकर्ता और विधायक के रसूखदार लाल कृष्ण और छीतर नामक लोगो के दबाव में आकर कार्यवाही को अंजाम दिया गया हैं l उनके पास इसको लेकर किसी प्रकार के लिखित आदेश नहीं हैं।

ज्ञातव्य है कि जिस भूमि से कब्जाधारक का कब्जा हटाने की कारवाही करने नायब तहसीलदार और पटवारी मौके पर पहुंचे थे उस भूमि को लेकर जिला मजिस्ट्रेट कलेक्ट्री कोर्ट में भूमि पर अधिकार को लेकर याचिका विचाराधीन चल रही हैं ।

मजे की बात तो ये है कि उक्त भूमि बंशी पुत्र रोड़ा नाम पर अलॉट की गई हैं जो भी नियमों से परे जाकर की गई हैं , सबसे पहले हम आपको बता दे कि कस्बे के तालाब से निकलने वाला नाला इसी भूमि से होकर गुजरता हैं जो कि ये उक्त भूमि डूब क्षेत्र में मानी जाती हैं जोकि रिजर्व खाते में आती हैं, साथ ही उक्त भूमि अलॉट धारक बंशी पुत्र रोड़ा ने अपनी किर खेड़ा माली खेड़ा मार्ग पर कोठारी नदी के किनारे एवं भीलवाड़ा में भी 10 से 12 बीघा पुस्तैनी भूमि की जानकारी प्रशासन से छुपाकर अपने दस्तावेज पेश किए गए थे वही उक्त भूमि पर अलॉट मेट के 3 वर्षों के अंतराल में किसी भी प्रकार की काश्त फसल नहीं ली गई है, इन आधारों पर प्रशासन को उक्त भूमि का अलॉट मेट खारिज करने का प्रावधान है।

लेकिन अलॉट मेट खारिज करने की कार्यवाही करने के बजाय प्रशासनिक अधिकारी नेताओं की जी हजूरी करने ओर उन्हें खुश करने में लगे हुए है और गरीब परिवारों को डराने धमकाने का काम कर रहे है ।

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