कृषि व किसान हितैषी प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने वाला बजट- मिश्र

कृषि व किसान हितैषी प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने वाला बजट-  मिश्र
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आकोला (रमेश चंद्र डाड)

केंद्र सरकार द्वारा संसद में पेश आम बजट पर प्रतिक्रिया देते हुये देश के सबसे बड़े किसान संगठन भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र ने कहा कि भारतीय किसान संघ कृषि व किसान हितैषी तथा इनसे जुड़े क्षेत्रों के हित संवर्धन वाले इस बजट का स्वागत करता है। सरकार ने इस बजट में अनाज की अधिक उत्पादकता व प्राकृतिक खेती को प्राथमिकता दी है। जलवायु परिवर्तन की दृष्टि से कृषि क्षेत्र में होने वाले परिवर्तन के लिये अनुसंधान व शोध के लिये सरकार ने बजट में प्रावधान किया है। साथ ही जलवायु के अनुसार कृषि क्षेत्र के लिये 32 व बागवानी फसलों की अधिक उपज वाली देने वाली नई 109 किस्में किसानों को देने की बात कही है, जो कि अच्छा कदम है। श्री मिश्र ने आगाह करते हुए कहा कि अधिक उत्पादन के नाम पर यदि जी एम फसलों को अनुमति दी जायेगी तो किसान संघ इसका विरोध करेगा। साथ ही अनुसंधान व शोध कार्यों के लिये निजी क्षेत्र की बजाय आईसीएआर को अधिक बजट राशि देने की बात श्री मिश्र ने कही।

प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिये सरकार ने एक करोड़ किसानों को प्रमाणीकरण व ब्रांडिंग में मदद कर प्रोत्साहन देने की बात बजट में की है। जिसके लिये उन्होंने बजट में दस हजार जैव इनपुट संसाधन केंद्र खोलने का प्रावधान किया है। जो कि सराहनीय है और जहरमुक्त खेती की दिशा में सरकार का सार्थक कदम हैं। श्री मिश्र ने आगे कहा कि सब्जी उत्पादक किसानों के लिये क्लस्टर बनाकर तथा दलहन व तिलहन में आत्मनिर्भर बनाने के लिये उसके उत्पादन, भंडारण व विपणन में विशेष अभियान के तहत रणनीति बनाने के प्रावधान बजट में शामिल किये गये हैं। इससे लघु व सीमांत किसानों को लाभ मिलेगा। पांच राज्यों में जन समर्थ आधारित किसान क्रेडिट कार्ड बनाने, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के माध्यम से देश के 400 जिलों में खरीफ फसलों का सर्वेक्षण किया जायेगा यह स्वागत योग्य कदम है। बजट में सरकार ने कृषि क्षेत्र के साथ साथ ग्रामीण क्षेत्र के विकास व जनजातीय उन्नयन ग्राम योजना की घोषणा की है। जिससे सुदूर क्षेत्रों में निवासरत बड़ी संख्या में आदिवासी परिवारों को लाभ मिलेगा। भारतीय किसान संघ ने कहा कि बजट स्वागत योग्य है लेकिन जीएम जैसी विफल अवैज्ञानिक, खतरनाक तकनीकी को अधिक उपज देने वाली व जलवायु के अनुकूल होने के झूठे दावे के आधार पर पिछले दरवाजे से प्रवेश न दिया जाये। इसका योजनाये बनाते समय ध्यान रखा जाये।

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