ढोल नगाड़ों के साथ महिलाओं ने सिर पर धारण किया सेवरा

ढोल नगाड़ों के साथ महिलाओं ने सिर पर धारण किया सेवरा
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आगुचा | गणगौर की कहानी, भगवान शिव और माता पार्वती से जुड़ी है. इस पर्व को सुहाग और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है. गणगौर की कहानी के मुताबिक, भगवान शिव और माता पार्वती ने नारद जी के साथ भ्रमण किया था. इस दौरान वे चैत्र शुक्ल तृतीया के दिन एक गांव में पहुंचे. पार्वती जी ने उनके पूजा-भाव को स्वीकार करके उन पर सारा सुहाग रस छिड़क दिया. नारद जी ने कहा कि जो भी स्त्रियां चैत्र महीने में गुप्त रूप से पूजा अर्चना करेंगी, उन्हें दीर्घायु और उत्तम पति-पुत्रादि की प्राप्ति होगी. गणगौर का त्योहार मुख्य रूप से राजस्थान ओर मध्यप्रदेश में मनाया जाता है

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