दुखों की जननी है माया- साध्वी कीर्तिलता

दुखों की जननी है माया- साध्वी कीर्तिलता
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भीलवाड़ा | पर्युषण महापर्व का चौथा दिवस वाणी संयम दिवस के रूप में मनाया गया।कार्यक्रम का आगाज स्थानीय तेरापंथ महिला मंडल के सुमधुर गीत से हुआ।साध्वीश्री की विशेष प्रेरणा से चंदन बाला के तेले का हू-ब-हू दृश्य प्रस्तुत किया गया।सभी तपस्वियों को सूत के धागों से बांधकर बाकुले का दान देने का दृश्य सबके आकर्षण का केंद्र बना। साध्वी कीर्तिलता ने अपने ओजस्वी प्रवचन में कहा माया दुखों की जननी है।माया दुर्भाग्य व दुर्गति को बढ़ाने वाली है।कहते है कि किसी को यदि नाग काट ले तो आदमी बच सकता है लेकिन नागिन किसी को काट ले तो उसका कोई उपचार नहीं होता।ऐसी ही है माया। मायावी व्यक्ति घर में कुटुंब जनों को छलता है।आपने तिर्यंच गति में जाने के चार कारणों में एक कारण माया को बताते हुए कहा कि माया जन्म जन्मांतरों को बिगाड़ती है अतः ज़रूरी है सरल बनना। पर्युषण महापर्व हमे सरल बनने की प्रेरणा दे रहा है। आपने भगवान महावीर के 27भवों की चर्चा में आज 16वें व 17वें भव के बारे में बताया।गजसुकुमाल का सुंदर आख्यान भी आप दे रहे है। साध्वी पूनमप्रभा ने तीन कोटि के व्यक्तियों की चर्चा पर बताया जो बोलने से पहले सोचता वह उच्च कोटि का, बोलने के बाद सोचता मध्यम कोटि का, जो न बोलने से पहले सोचता न बाद में वह अधम कोटि वाला होता है। सभा अध्यक्ष जसराज चोरडिया ने भामाशाह बाबूलाल पितलिया एवं बाबूलाल बोहरा का सम्मान किया। सभा मंत्री योगेश चंडालिया व तेयुप मन्त्री महावीर खाब्या ने पर्युषण पर्व दौरान होने वाले आगामी कार्यक्रमों की सूचना दी।महिला मंडल प्रचार प्रसार मंत्री नीलम लोढ़ा ने बताया कि साध्वीश्री की विशेष प्रेरणा से चंदन बाला के लगभग 80 तेले हुए। प्रवचन में महिला मंडल बहिनों ने चंदनबाला का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया। श्रावक श्रविकाओं द्वारा नवकार महामंत्र का अखंड जाप का क्रम निरंतर चल रहा है।उपासक दीक्षा में संभागी भाई बहिनों की साधना भी अच्छी चल रही है। रात्रिक़ालीन कार्यक्रम में आज अभिनव अन्ताक्षरी का शानदार कार्यक्रम रहा। हेल्थ टॉक संजीवनी कार्यशाला में आज महात्मा गांधी चिकित्सालय के कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ विपुल मेहता ने कैंसर रोग के बारे में विस्तृत जानकारी दी। कार्यशाला में सभा अध्यक्ष जसराज चोरडिया ने डॉ मेहता का उपरना साहित्य द्वारा स्वागत सम्मान किया।कार्यशाला का संचालन गौतम दुगड़ ने किया।

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