राष्ट्रीय हरित अधिकरण का भीलवाड़ा के तालाबों पर सख्त आदेश: अतिक्रमण हटाओ, प्रदूषण रोको

भीलवाड़ा । राजस्थान में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) की मध्य क्षेत्र पीठ ने कोटड़ी तहसील के धर्मो तालाब और फतेह सागर तालाब (बड़ा तालाब) में बढ़ते प्रदूषण और अतिक्रमण पर कड़ा रुख अख्तियार किया है। 9 जुलाई, 2025 को हुई सुनवाई में न्यायमूर्ति शिव कुमार सिंह और डॉ. ए सेंथिल वेल की पीठ ने आवेदक कोटड़ी निवासी विष्णु कुमार वैष्णव बनाम राजस्थान राज्य एवं अन्य के मामले में यह महत्वपूर्ण आदेश जारी किया।
अधिकरण ने मुख्य रूप से तीन गंभीर मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया: तालाबों में अनुपचारित सीवेज का बहाव, जल निकायों पर अवैध कब्जे, और पानी की गुणवत्ता में लगातार गिरावट। आवेदक ने शिकायत की थी कि कोटड़ी गाँव के खसरा संख्या 1595, 4467 (धर्मो तालाब) और खसरा संख्या 2050 (फतेह सागर/बड़ा तालाब) पर अवैध पट्टे दिए गए हैं और अतिक्रमण हो रहा है, जिससे ये महत्वपूर्ण जल स्रोत प्रदूषित हो रहे हैं।
एनजीटी ने धर्मो तालाब के संबंध में कई सख्त निर्देश दिए हैं। सर्वेक्षण संख्या 739, 739/1 और 739/2 में तालाब की भूमि पर जितने भी निर्माण हुए हैं, उन्हें आज से तीन महीने के भीतर ध्वस्त किया जाएगा। भीलवाड़ा कलेक्टर को इस आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी गई है। इसके साथ ही, धर्मो तालाब को उसकी मूल स्थिति में बहाल किया जाएगा। यह कार्य जिला कलेक्टर, भीलवाड़ा, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, पंचायत समिति, बनेड़ा के खंड विकास अधिकारी और राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (आरएसपीसीबी) (जो इस मामले में नोडल एजेंसी होगा) की एक संयुक्त समिति द्वारा किया जाएगा।
पुनर्बहाली की लागत 'प्रदूषक भुगतान करें' के सिद्धांत पर दोषी व्यक्तियों या उल्लंघनकर्ताओं (यानी, प्रतिवादी 7 और प्रतिवादी 9 के वर्तमान पदाधिकारियों) द्वारा वहन की जाएगी। एनजीटी ने अंतरिम तौर पर ₹2 करोड़ का पर्यावरणीय मुआवजा निर्धारित किया है, जिसे दो महीने के भीतर आरएसपीसीबी के पास जमा करना होगा। यह राशि तालाब की बहाली पर खर्च की जाएगी, और यदि अधिक धन की आवश्यकता हुई, तो उसे भी इन्हीं प्रतिवादियों से वसूला जाएगा। इसके अतिरिक्त, धर्मो तालाब के जलग्रहण क्षेत्र (सर्वेक्षण संख्या 707) को भी अतिक्रमण और किसी भी निर्माण से पूरी तरह मुक्त रखा जाएगा। जल निकाय और आर्द्रभूमि (संरक्षण एवं प्रबंधन) नियम 2017 के तहत जल निकाय की 50 मीटर की परिधि में कोई भी स्थायी निर्माण नहीं किया जा सकेगा।
कलेक्टर, भीलवाड़ा, उप-विभागीय अधिकारी, बनेड़ा और जिला परिषद के सीईओ यह सुनिश्चित करेंगे कि भविष्य में धर्मो तालाब की भूमि पर कोई और अतिक्रमण या निर्माण गतिविधियां न हों। भीलवाड़ा कलेक्टर को 6 महीने के भीतर (15 फरवरी, 2024 से पहले नहीं) एक अनुपालन रिपोर्ट रजिस्ट्रार, मध्य क्षेत्र, भोपाल पीठ को प्रस्तुत करनी होगी।
फतेह सागर तालाब (बड़ा तालाब) के संबंध में भी, NGT ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि अवैध आवंटन के खिलाफ कार्रवाई करें और राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम की धारा 91 के तहत अतिक्रमण हटाने के लिए आवश्यक कदम उठाएं।
समिति की रिपोर्ट ने इस बात की पुष्टि की है कि ये दोनों जल निकाय स्थानीय निवासियों के लिए पीने और कृषि उद्देश्यों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं, लेकिन वे अनुपचारित पानी के अवैध निर्वहन और अतिक्रमण से बुरी तरह प्रभावित हैं, जिससे पानी की गुणवत्ता निर्धारित मानकों के अनुरूप नहीं है।
एनजीटी ने नगर निगम/नगर परिषद को तुरंत सुधारात्मक कार्रवाई करने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि किसी भी जल निकाय में कोई अनुपचारित जल न छोड़ा जाए। यदि ऐसा पाया जाता है, तो राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (आरएसपीसीबी) को उपचारात्मक उपायों के साथ-साथ उल्लंघन की तिथि से सुधार की तिथि तक पर्यावरणीय मुआवजे की वसूली के लिए आवश्यक कार्रवाई करनी होगी, और तीन सप्ताह के भीतर न्यायाधिकरण को रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
इस मामले की अगली सुनवाई 8 अगस्त, 2025 को होनी है। यह आदेश भीलवाड़ा के इन महत्वपूर्ण जल स्रोतों के संरक्षण और बहाली की दिशा में एक बड़ा और निर्णायक कदम है।