नवधा भक्ति जीवन को प्रभु के प्रति समर्पित करने का सहज और शाश्वत मार्ग: स्वामी अच्युतानंद



भीलवाड़ा । श्री रामधाम रामायण मंडल ट्रस्ट द्वारा हमीरगढ़ रोड स्थित रामधाम में आयोजित चातुर्मास प्रवचन में शनिवार को केदारखण्ड, अगस्त्य मुनि आश्रम से पधारे स्वामी अच्युतानंद ने अपने आशीर्वचनों से भक्तों को भावविभोर कर दिया। रामचरितमानस के अरण्यकांड में वर्णित नवधा भक्ति का सरल और प्रभावशाली तरीके से वर्णन किया। प्रवचन में बड़ी संख्या में भक्तगण उपस्थित रहे और स्वामी जी के मधुर वचनों से अभिभूत होकर भक्ति की राह पर चलने का संकल्प लिया। स्वामी जी ने कहा कि नवधा भक्ति केवल एक साधना पद्धति नहीं, बल्कि जीवन को प्रभु के प्रति समर्पित करने का सहज और शाश्वत मार्ग है। उन्होंने समझाया कि भगवान श्रीराम ने शबरी को नौ प्रकार की भक्ति बताई, जो हर साधक को मोक्ष के मार्ग पर अग्रसर करती है। प्रथम भक्ति में संतों का संग करना बताया गया है। संतों के सान्निध्य से साधक के जीवन में शुद्धता और सद्गुण आते हैं। दूसरी भक्ति भगवान की कथाओं को प्रेमपूर्वक सुनना और उन पर मनन करना है, जिससे हृदय में भक्ति का बीज अंकुरित होता है। तीसरी भक्ति गुरु की सेवा करना है, जो जीवन में विनम्रता और ज्ञान का प्रकाश लाती है। चौथी भक्ति कपट रहित होकर प्रभु के गुणों का गान करना है। पांचवीं भक्ति नामजप और प्रभु पर अडिग विश्वास रखना है। स्वामी जी ने कहा कि नामजप साधक के भीतर शक्ति और शांति दोनों का संचार करता है। छठी भक्ति इन्द्रियों पर संयम और वैराग्य का पालन करना है, जिससे साधक सांसारिक बंधनों से मुक्त होता है। सातवीं भक्ति में साधक सम्पूर्ण जगत में प्रभु को देखता है और संतों को भगवान से भी श्रेष्ठ मानता है। आठवीं भक्ति अपने भाग्य में संतोष रखना और परनिंदा से बचना है। नवम भक्ति सरलता और छलरहित स्वभाव रखते हुए प्रभु पर पूर्ण विश्वास करना है।स्वामी अच्युतानंद जी ने कहा कि यदि साधक इन नौ सीढ़ियों पर चलना शुरू कर दे तो उसका जीवन ईश्वरमय हो जाएगा और अंततः वह प्रभु का साक्षात्कार करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि चातुर्मास का समय आत्मा और वाणी के संयम का पर्व है। इस काल में साधना करने से साधक के भीतर स्थायी परिवर्तन होता है। प्रवचन के अंत में भक्तों ने राम नाम संकीर्तन किया और सभी ने जीवन में नवधा भक्ति के सिद्धांतों को अपनाने का संकल्प लिया।रामधाम का वातावरण भक्ति और श्रद्धा से सराबोर हो उठा। ट्रस्ट के सचिव अभिषेक अग्रवाल ने बताया कि चातुर्मास प्रवचन का यह आध्यात्मिक आयोजन प्रतिदिन सुबह 9 बजे से रामधाम में हो रहा है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण उपस्थित होकर धर्मलाभ ले रहे हैं। इसके अतिरिक्त, श्रावण मास के पावन अवसर पर शिवालय में भी विशेष धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया जा रहा है। प्रतिदिन सुबह और शाम भगवान शिव का अभिषेक और श्रृंगार किया जा रहा है, जिससे रामधाम का वातावरण भक्तिमय बना हुआ है। ट्रस्ट द्वारा साप्ताहिक रामायण का पाठ रविवार को दोपहर 3 से शाम 5.30 बजे तक भोपालगंज लक्ष्मीनारायण मंदिर में हुआ। पाठ प्रभारी शिव प्रकाश लाठी ने बताया कि आयोजन में श्रद्धालुओं से अधिकाधिक संख्या में भाग लिया। 29 व 30 जुलाई को तुलसीदास जयंती मनाई जाएगी।

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