विमुक्त, घुमंतु एवं अर्द्ध-घुमंतु समाजों द्वारा एक अगस्त को होगा महा-बहिष्कार आंदोलन

विमुक्त, घुमंतु एवं अर्द्ध-घुमंतु समाजों द्वारा एक अगस्त को होगा महा-बहिष्कार आंदोलन
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भीलवाड़ा। राजस्थान में चल रहे विमुक्त, घुमंतु एवं अर्द्ध-घुमंतु (डीएनटी) समाजों द्वारा 'महा-बहिष्कार आंदोलन' एक अगस्त को आज़ाद चौक, भीलवाड़ा में होगा। इससे पहले पाली, जोधपुर और जयपुर में यह आंदोलन हो चुका है और सरकार को सभी माँगगों से अवगत करवा चुके हैं, लेकिन सरकार इनके प्रति संवेदनशील नहीं है। सरकार हमारी माँगों पर विचार नहीं कर रही है। इस आंदोलन में इन समाजों की दस माँगे हैं जिसमें आरक्षण का उपवर्गीकरण कर एक अलग 'डीएनटी ग्रुप' बनाये जाने की माँग भी है, जिसकी सिफारिश रेनके और इदाते आयोग ने भी की है। सुप्रीम कोर्ट ने भी आरक्षण के भीतर आरक्षण का निर्णय दिया है। आंदोलन की माँग है कि सरकार इसे लागू करे।

इसी तरह इन आयोगों ने सिफारिश की है कि डीएनटी को स्थानीय निकायों, विधायिका आदि में संवैधानिक आरक्षण दिया जाए, राज्यसभा में भी प्रतिनिधित्व दिया जाए, डीएनटी जहाँ रहते हैं, वहीं का उन्हें पट्टा दिया जाए, भूमिहीन को 300 गज जमीन दी जाए। राष्ट्रीय पशुपालक संघ और डीएनटी संघर्ष समिति के अध्यक्ष लालजी राईका ने बताया कि सरकार को अपना अड़ियल रूख बदलना पड़ेगा और इन वंचित वर्गों को इनके अधिकार देने पड़ेंगे। जब तक हमें हक और अधिकार नहीं मिल जाते तब तक 'महा- बहिष्कार आंदोलन' जारी रहेगा ।

विमुक्त, घुमंतु एवं अर्द्ध-घुमंतु जाति परिषद् के प्रदेशाध्यक्ष रतननाथ कालबेलिया ने कहा कि इस आंदोलन में करीब 50 समाज भाग ले रहे हैं और यह कारवाँ दिन पर दिन बढ़ रहा है। हम अपने हक और अधिकार छोड़ने वाले नहीं है। यदि भीलवाड़ा आंदोलन से भी सरकार की नींद नहीं खुली तो पूरे प्रदेश में आंदोलन छेड़ा जाएगा ।

राष्ट्रीय पशुपालक संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ हरमल रेबारी का कहना था कि डीएनटी समाज में शैक्षणिक जागरण हेतु इनके बच्चों के लिए विशेष विद्यालय और महाविद्यालय खोले जाने चाहिए और सरकार प्रति वर्ष एक हज़ार बच्चो को विदेश पढ़ने के लिए स्कालरशिप दें ।

राष्ट्रीय पशुपालक संघ के भीखू ने बताया कि इन समुदायों को 300 गज जमीन रहने के लिए और 300गज पशुओं के लिए आवंटित की जानी चाहिए और जहाँ ये रहते हैं वहाँ ही इन्हें पट्टे दिए जाने चाहिए। पशुपालक समाज और घुमंतु समाज गाँव की परिधि में रहते हैं, लेकिन सरकार उन्हें गोचर की श्रेणी में बोलकर पट्टे नहीं दे रही है।

डीएनटी माँग पत्र

1. जातियों को सूचीबद्ध करने में अनेक विसंगतियाँ की हैं जैसे रैबारी लिखा है लेकिन उसके पर्याय सब्द राईका (रायका) और देवासी नहीं लिखा है इससे उनके विमुक्त, घुमंतू एवं अर्थ-घुमंतू पहचान (जाति) सर्टिफिकेट नहीं बन रहे हैं, जोगी कालबेलिया लिख दिया जबकि जोगी और कालबेलिया अलग अलग है, बावरी लिखा है लेकिन बागरिया नहीं लिखा है, बनजारा, भाट और राव एक ही जाति है लेकिन उनमें भी भेद किया गया है, नायक और भोपा एक ही जाति है ।

2. डीएनटी समाज को सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थाओं में 10% आरक्षण दिया जाये जिसकी सिफ़ारिश रेनके आयोग ने भी की है। इदाते आयोग में भी इन समाजों के लिए" sub quota" की सिफारिश की गई है। राजस्थान में इन जातियों की अनुमानित जनसंख्या क़रीब 15% है इसलिए 10% आरक्षण की माँग उचित है। इन जातियों में अधिकतर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल है लेकिन इनको कोई लाभ नहीं मिल रहा है इसलिए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय" आरक्षण के भीतर आरक्षण" के तहत इन समाजों को अलग से 10% आरक्षण दिया जाना चाहिए ।

3. पंचायती राज्य संस्थाओं और शहरी निकायों में इनके लिए 10% सीटें आरक्षित की जाये। क्योंकि ये जातियों बिखरी हुई हैं इसलिए एक साथ वोट नहीं कर पाती हैं, इसलिए इन्हें प्रतिनिधित्व देने के लिए 10% सीट राज्य सभा में आरक्षित किया जाये 4. जहाँ पर इनके आवास हैं या बाडा है उसी को नियमित पर पट्टे दिये जाये ।

5. आवासहीनों को शहर में 100 वर्ग गज और गाँवों में 300 वर्ग गज आवास के लिए और 300 वार गज पशुओं के बाड़े के लिए दी जाये ।

6. शिक्षा के लिए शिक्षा बजट का 10% हिस्सा अलग किया जाये और उसमें से इनके लिए आवासीय विद्यालय, कला महाविद्यालय, महा आंगनबाड़ी, हॉस्टल, कौशल कॉलेज आदि खोले जायें ।

7. उन्हें" कहीं भी शिक्षा (anywhere education) का प्रावधान किया जाये और उनके बच्चों को " शिक्षा अधिकार (right to education) में प्राइवेट स्कूल में प्रवेश में प्राथमिकता दी जाये और उनकी फ़ीस की सरकार द्वारा प्रतिपूर्ति की जाये ।

8. महिलाओं और युवाओं को आधुनिक उद्योग जैसे इलेक्ट्रॉनिक, कंप्यूटर मैन्यूफैक्चरिंग में ट्रेनिंग देकर रोज़गार दिया जाये क्योंकि इन जातियों में बचपन से ही कला की प्रवति होती है इसलिए इन उद्योगों के लिए वे कुशल कर्मचारी साबित होंगे । सभी प्राइवेट उद्योगों को इस समाजों को रोज़गार देने का लक्ष्य दिया जाये।

9. प्रति वर्ष 1000 विद्यार्थियों को विदेश में शिक्षा के लिए भेजा जाये जिसका पूरा खर्च सरकार वहन करे

10. इनके लिए अलग मंत्रालय, वित्त निगम और लोन की सुविधा होनी चाहिए.

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