एकादशी पर ठाकुर जी जल- झूलन को निकले
बिजौलिया (दीपक राठौर)। धार्मिक मान्यतानुसार कान्हा के जन्म के बाद यशोदा माता ने इसी दिन उनका जल या घाट पूजन किया था। अत: इसे डोल ग्यारस के नाम से भी जाना जाता हैं परिवर्तिनी एकादशी को जलझूलनी एकादशी भी कहते हैं। इस एकादशी को बहुत ही पवित्र माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु का ध्यान और पूजन करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विशेष तरीके से की जाती है।
जलझूलनी एकादशी पर आज बिजोलिया में भव्य शोभायात्रा के साथ ठाकुर जी जल -झूलन को निकले। शोभा यात्रा का आयोजन चारभुजा नाथ मंदिर से पंचायत चौक होते हुए विजय सागर तालाब पहुंचा जहां पर ठाकुर जी को जल -झूलन कराया गया हर वर्ष की भांति बिजोलिया के सभी प्रमुख मंदिरों के बेवाण इस शोभायात्रा में सम्मिलित हुए। तत्पश्चात सभी मंदिरों के बेवाण बिजोलिया के राज -घराने में पहुंचे जहां विशेष आरती की गई इसके बाद सभी बेवाण अपने-अपने वापस मंदिर पहुंचे। शोभा यात्रा के दौरान जगह-जगह पर पुष्प वर्षाओं से भक्तों ने ठाकुर जी का स्वागत किया गया।
इस दौरान महिला -पुरुष, बाल -बच्चे आदि भक्ति की धुन में मंत्र मुक्त हो गए। इस शोभायात्रा का भक्तों ने जमकर आनंद लिया।