भागवत कथा के छठे दिन कृष्ण रुक्मणी विवाह की झांकी बनी आकर्षण का केंद्र, उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

भागवत कथा के छठे दिन कृष्ण रुक्मणी विवाह की झांकी बनी आकर्षण का केंद्र, उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
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व्यक्ति को जीवन में कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए: संत अर्जुन राम

भीलवाडा। व्यक्ति को जीवन में कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए। भगवान एक पल में हर व्यक्ति का घमंड तोड़ देते हैं। कितना ही बड़ा विद्वान और तपस्वी हो घमंड करने पर भगवान उसके घमंड को चूर-चूर कर देते हैं। रावण का घमंड भगवान श्री राम ने चूर-चूर किया। कंस का घमंड भगवान श्री कृष्ण ने चूर-चूर किया। भगवान के सामने घमंड किसी का नहीं चलता है। उक्त अमृत वचन सूर्य महल मे मंगरोप वाले काबरा परिवार के द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दौरान कथावाचक संत अर्जुन राम के द्वारा व्यक्त किये गये। श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन संतश्री द्वारा मथुरा प्रस्थान, कंस का वध, रास महोत्सव, उद्धव-गोपी संवाद, और रुक्मणी विवाह का वर्णन किया। उन्होंने ने कहा कि महारास में भगवान श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाकर गोपियों का आह्वान किया और महारास लीला द्वारा ही जीवात्मा का परमात्मा से मिलन हुआ। उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण का बचपन अद्भुत और चमत्कारी घटनाओं से भरा हुआ है। उनकी बाल लीलाएँ भक्तों के हृदय को आनंद और प्रेम से सराबोर कर देती हैं। रुक्मणी विवाह प्रसंग में उन्होंने कहा कि यह प्रसंग सच्चे प्रेम, भक्ति और भगवान पर अटूट विश्वास का प्रतीक है। यह दर्शाता है कि जो भक्त सच्चे हृदय से भगवान को पुकारते हैं, भगवान उनकी रक्षा अवश्य करते हैं और उनकी इच्छा पूर्ण करते हैं। आयोजन कर्ता कैलाश चन्द्र काबरा मंगरोप ने बताया की कथा के छठवे दिन कृष्ण रुक्मणी विवाह की आकर्षक झांकी सजाई गई जो श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र रही। और भगवान कृष्ण के बारात लाने का दृश्य तो काफी भाव विभोर करने वाला रहा। कथा के साथ-साथ बीच में सुमधुर भजनों से भक्तों को जोड़ने में मजबूर कर देते है। साथ ही भागवत कथा को सुनने के लिए शहर के साथ जिले के आसपास के गांवों व अन्य जिलो के लोग पहुंच रहे हैं। कथा के अंत में संतश्री को संत गोविंदराम, कन्हैयालल ख्टोड, संपत भूतड़ा, राकेश सोमानी, पवन बाहेेती, प्रवीण अटल, लालचंद काबरा, गोपाल सोमानी तेजमल कचोलिया, राधेश्याम अजमेरा, घीसू लाल मारोठिया द्वारा संतश्री अर्जुनराम जी को माला अर्पण की गई इसी दौरान संत श्री ने आगुतक अतिथियों एवं मेहमानों को दुपट्टा पहना कर आशीर्वाद प्रदान किया। कथा के समापन पर संतश्री सहित सभी भक्तों ने आरती में भाग लिया। उसके बाद प्रसाद का वितरण किया गया।

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