24 गांवों को नगर निगम में मिलाने का बढ़ा विरोध, दी आन्दोलन की चेतावनी

24 गांवों को नगर निगम में मिलाने का बढ़ा विरोध, दी आन्दोलन की चेतावनी
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भीलवाड़ा। राज्य सरकार द्वारा सुवाणा पंचायत समिति की ग्राम पंचायत सुवाणा, आटूण, हलेड़, पालड़ी, आरजिया, मालोला, पांसल, गठिलाखेड़ा सहित 24 राजस्व गांवों को नगर निगम में शामिल करने का विरोध तेज हो गया है। इन गांवों के सरपंचों, जनप्रतिनिधियों व ग्रामीणों ने पंचायत बचाओ संघर्ष समिति का गठन कर

संघर्ष का ऐलान किया है। चेतावनी दी कि पहले सरकार से मिलेंगे। हमारी मांगे रखेंगे, फिर भी नगर निगम से इन पंचायतों को बाहर नही निकाला तो आंदोलन किया जाएगा।

समिति ने आज सर्किट हाउस में पत्रकारवार्ता की। संघर्ष समिति के सदस्य एडवोकेट राजेश चौधरी, पालडी सरपंच गोपाल जाट, सुवाणा सरपंच अमित चौधरी, पूर्व सरपंच बालुलाल आचार्य हलेड, पूर्व सरपंच छोटू लाल जाट पाँसल, कन्हैया लाल सनाढ्या आटूण, देवेंद्र सिंह राणावत पालडी, शरद सिंह चौहान आदि ने बताया कि इन पंचायतों के ग्रामीणों को वर्तमान में प्रशासनिक कार्य पेंशन, राशन कार्ड, जाति प्रमाण पत्र मूल निवास प्रमाण पत्र, अनापत्ति प्रमाण पत्र आदि की सुविधा ग्राम पंचायत स्तर पर उपलŽब्ध हो जाती है। यदि ये पंचायतें नगर निगम में जाती है तो आमजन को व्यक्तिगत कार्य के लिए नगर निगम के चक्कर लगाने पड़ेंगें जिससे आमजन की समस्या बढ़ जाएगी। इन पंचायतों में 80 प्रतिशत किसान व मजदूर निवास करते हैं। जो मनरेगा में कार्य करते हैं। यही इनका आजीविका का साधन है। यदि ये पंचायतें नगर निगम में जाती है तो महानरेगा बन्द या कम हो जायेगी। जो किसान खेती पर आधारित है, उनकी कृषि भूमि अवाप्ति में जाने की आशंका रहेगी। इससे रोजगार में कमी हो जायेगी। शहरी क्षेत्र में आने से पानी-बिजली बिल बढ़ जाएंगे जिससे गरीब किसानों पर व्यय भार बढ़ जायेगा। पंचायतों का शहरीकरण होने से प्रदूषण की समस्या होने लगेगी। चारागाह भूमि अवाप्ति में चली जायेगी और खाली जगह पर भूमाफिया कŽजा करने लग जायेंगे जिसके कारण गरीब किसानो को अपने गांव से पलायन करना पड़ेगा। आज भी ग्रामीणों में शिक्षा का अभाव है। उन्हें अपने कार्यों को नगर निगम से कराने के लिए दलालों के चक्कर में पडऩा पड़ेगा। नगर परिषद ने जब सरकार को

निगम बनाने का प्रस्ताव भेजा तो तर्क दिया था कि नगर परिषद की 5 लाख की जनसंख्या हो गयी है। यदि नगर निगम मे इन पंचायतों को शामिल नहीं किया जाता तो भी नगर निगम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। पंचायत बचाओ संघर्ष समिति पं.स.सुवाणा ने मांग की है कि राज्य सरकार द्वारा 24 ही ग्रामों को नगर निगम से बाहर किया जाए वरना आंदोलन किया जाएगा।

इन 24 गांवों के जनप्रतिनिधियों व ग्रामीणों द्वारा पूर्व में भी कले€क्टर को ज्ञापन देकर विरोध किया जा चुका।

इसके बावजूद इन ग्राम पंचायतों व राजस्व गांवों को नगर निगम में शामिल कर लिया गया।

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