पंचायती राज मंत्रालयिक कर्मचारियों ने विवादित जांच आदेशों की होली जलाकर किया विरोध

भीलवाड़ा । पंचायती राज मंत्रालयिक कर्मचारी संगठन के प्रदेशव्यापी आह्वान पर, संगठन की जिला शाखा ने कलेक्ट्रेट के बाहर पंचायती राज विभाग द्वारा जारी किए गए विवादित जांच आदेशों की होली जलाकर विरोध प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन का नेतृत्व संगठन की जिला अध्यक्ष शोभा लाल तेली ने किया।
संगठन के जिला परिषद इकाई अध्यक्ष भानुप्रकाश प्रजापत ने बताया कि मंत्रालयिक संवर्ग के पदोन्नति के अनुपात को लेकर पंचायती राज विभाग और वित्त विभाग के बीच संघर्ष चल रहा है। वित्त विभाग के नॉर्म्स के अनुसार, पदोन्नति के लिए निर्धारित अनुपात 80:20 होना चाहिए, लेकिन पंचायती राज विभाग में इस अनुपात को लागू नहीं किया गया है। इस कारण से मंत्रालयिक कर्मचारियों की पदोन्नति में देरी हो रही है।
प्रदेश सरकार द्वारा 2025 के बजट में मंत्रालयिक संवर्ग के पदोन्नति हेतु कैडर रिव्यू की घोषणा की गई थी, लेकिन पंचायती राज विभाग द्वारा तैयार किया गया प्रस्ताव बिना किसी कारण के वित्त विभाग को लौटाया गया, और अब यह मामला दो महीने से विभाग स्तर पर लटका हुआ है।
इसके अलावा, पंचायती राज विभाग ने वर्ष 2017 में हुई कनिष्ठ लिपिक भर्ती के दस्तावेजों की जांच के नाम पर बार-बार आदेश जारी कर भर्ती से जुड़े कर्मचारियों को परेशान किया है। मंत्रालयिक कर्मचारी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष और अन्य प्रतिनिधियों के खिलाफ भी दमनात्मक कार्यवाही की जा रही है।
ग्राम पंचायत स्तर पर कार्यरत मंत्रालयिक कर्मचारियों के लिए संगठन ने स्पष्ट कार्य विभाजन की मांग की है, जिससे कि आम जनता के कार्य समय पर और बिना किसी बाधा के पूरे किए जा सकें। संगठन ने अपनी मांगों में मंत्रालयिक कर्मचारियों के कैडर रिव्यू, ग्राम पंचायत कर्मचारियों के कार्य विभाजन, और कनिष्ठ लिपिक भर्ती की दस्तावेज़ जांच भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारियों से कराने की बात रखी है।
ज्ञापन के दौरान जिला परिषद के मंत्रालयिक कर्मचारी पवन शर्मा, राजेश काबरा, प्रमोद जैन, गिरीराज व्यास, भैरू खटीक, मनीष भट्ट, कृष्ण गोपाल छापरवाल, सुनीता अरोड़ा, बबली लढ़ा, सुमन टेलर, सुगना कंवर, शैलेन्द्र राजावत, दीक्षा मीणा, अंजना त्बोली, रेखा पनवा, हीरामणी मून्दड़ा, अभिषेक न्याती, बलवीर सिंह, निरंजन बूलिया, शैलेन्द्र सिंह सहित कई कर्मचारी उपस्थित रहे।
इस विरोध प्रदर्शन से कर्मचारियों के बीच गहरी नाराजगी और आक्रोश का माहौल है, और वे अपनी मांगों को लेकर सरकार से शीघ्र कार्रवाई की अपेक्षा कर रहे हैं।