क्षमायाचना के साथ ही पर्युषण महापर्व का समापन

क्षमायाचना के साथ ही पर्युषण महापर्व का समापन
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भीलवाड़ा । तेरापंथ समाज द्वारा आज तेरापंथ नगर में महाश्रमण सभागार में संवतसरी के अंतिम दिवस क्षमा याचना पर्व मनाया । कार्यक्रम में विशाल जनमेदनी को संबोधित करते हुए साध्वी कीर्तिलता ने 'खामेमि सव्वे जीवा' का मतलब बताया । उन्होंने कहा मैं सभी जीवित प्राणियों को क्षमा करता हूं। संवत्सरी के दिन लोग अपने कर्मों, शब्दों, या कार्यों से किसी को ठेस पहुंचाने पर क्षमा मांगते हैं। सरल शब्दों में कहें तो इस दुनिया में जितने भी प्राणी है उन सबके लिए हमारा प्रेम हो। हमें किसी के साथ वैमनस्यता, ईर्ष्या और द्वेष नहीं रखना है। यह संवत्सरी पर्व हमे यहीं सिखाता है कि हम हर व्यक्ति के साथ कदम से कदम मिलाकर चलें। हाथ से हाथ मिलाकर नहीं दिल से दिल मिलाकर चलें।

साध्वी शांतिलता ने कहा कि रोड पर ओवरब्रिज बनाना आसान है, लकड़ी का पुल बनाना आसान है परंतु दो दिलों के बीच मैत्री का पुल बनाना बड़ा कठिन है।

सर्वप्रथम साध्वी पूनम प्रभा, साध्वी श्रेष्ठ प्रभा सहित चारों साध्वियों ने उपस्थित श्रावक समाज से क्षमा याचना की । मीडिया प्रभारी धर्मेन्द्र कोठारी ने बताया कि तदपश्चात सभाध्यक्ष जसराज चोरड़िया ने सम्पूर्ण समाज से क्षमा याचना करते हुए भामाशाहों के सहयोग हेतु स्वागत किया ।

सभा मंत्री योगेश चंडालिया ने मंच संचालन किया ।

महासभा उपाध्यक्ष निर्मल गोखरू ने भी अपने विचार व्यक्त किए। तेयूप अध्यक्ष पियूष रांका, महिला मंडल अध्यक्ष मैना कांठेड़, टिपीएफ अध्यक्ष प्रशांत सिंघवी, बलवंत रांका, विमला रांका, आनंदबला टोडरवाल, लक्ष्मीलाल झबक, लक्ष्मी लाल सिरोहिया,दिलीप मेहता, शैलेंद्र बोर्दिया,लक्ष्मी लाल गांधी ने अपने विचार व्यक्त किए ।

गौतम दुगड़ ने बताया की पर्युषण पर्व के दौरान 6 दिन की "हेल्थ टॉक संजीवनी कार्यशाला" का सफलता पूर्वक संचालन किया गया जिसमे श्रावक समाज ने बढ़ चढ़ पर भाग लिया । शहर के सात मुख्य चिकित्सकों ने अलग अलग विषयों पर सात दिन की परिचर्चा की ।

तेरापंथ समाज द्वारा सामूहिक पारणे का आयोजन हुआ जिसमे बड़ी संख्या में सामूहिक पारने हुए ।

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