क्षमायाचना के साथ हुआ पर्युषण महापर्व का समापन

क्षमायाचना के साथ हुआ पर्युषण महापर्व का समापन
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भीलवाड़ा, । तेरापंथ समाज द्वारा आज तेरापंथ नगर स्थित महाश्रमण सभागार में संवत्सरी के अंतिम दिवस पर क्षमा याचना पर्व बड़े श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया।

कार्यक्रम के मुख्य प्रवचन में साध्वी उर्मिला कुमारी जी ने ‘खामेमि सव्वे जीवा’ का अर्थ समझाते हुए कहा – “मैं सभी जीवित प्राणियों को क्षमा करती हूं।” उन्होंने बताया कि संवत्सरी का संदेश है कि यदि हमने शब्द, कर्म या व्यवहार से किसी को ठेस पहुँचाई हो तो न केवल क्षमा माँगें, बल्कि सभी जीवों के प्रति प्रेम, मैत्री और सद्भाव का भाव रखें। उन्होंने कहा – “हमें हाथ से हाथ नहीं, बल्कि दिल से दिल मिलाकर चलना है।”

साध्वी मृदुल यशा जी ने कहा कि – “रोड पर ओवरब्रिज बनाना आसान है, लकड़ी का पुल बनाना आसान है, परंतु दो दिलों के बीच मैत्री का पुल बनाना सबसे कठिन है।”

सर्वप्रथम साध्वी ऋतु यशा जी एवं ज्ञान यशा जी सहित चारों साध्वियों ने उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं से क्षमा याचना की। तत्पश्चात सभाध्यक्ष जसराज चोरड़िया ने समाज से क्षमा याचना करते हुए भामाशाहों के सहयोग हेतु आभार व्यक्त किया। महासभा उपाध्यक्ष निर्मल गोखरू ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

सभा मंत्री योगेश चंडालिया ने मंच संचालन किया, आभार लक्ष्मी लाल झाबक ने व्यक्त किया। तेयूप अध्यक्ष अमित मेडतवाल, महिला मंडल अध्यक्ष अमिता बाबेल, टीपीएफ सपना कोठारी, अणुव्रत समिति अध्यक्ष अभिषेक कोठारी, महामंत्री बलवंत रांका,राष्ट्रीय सहमंत्री राकेश सुतरिया,सह संयोजक दीक्षित कोठारी ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

जेटीएन प्रवक्ता गौतम दुगड़ ने बताया कि पर्युषण महापर्व के दौरान श्रावक-श्राविकाओं ने उत्साहपूर्वक उपवास, बेले, तेले,अठाइयाँ और 300 से भी अधिक पौषध किए । साथ ही प्रतिदिन प्रतिक्रमण और अखंड जाप का क्रम भी निरंतर जारी रहा। अंत में तेरापंथ समाज द्वारा सामूहिक पारणे का आयोजन हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने भाग लिया।

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