आत्मा की सफाई का पर्व है पर्युषण–मुमुक्षु भाविका

आत्मा की सफाई का पर्व है पर्युषण–मुमुक्षु भाविका
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पुर। उपनगर पुर के तेरापंथ भवन में मुमुक्षु बहिनों के निर्देशन में पर्युषण पर्व की शुरुआत की गई। मुमुक्षु रक्षा द्वारा नमस्कार महामंत्र और मंगलाचरण से कार्यक्रम की शुरुआत की गई। उन्होंने चरम तीर्थंकर भगवान महावीर की वाणी आगम और उनकी जीवनी पुरुषार्थ की यात्रा शुरू की। मुमुक्षु संयोजिका भाविका द्वारा महापर्व पर्युषण का महत्व बताते हुए आत्म सफाई की विशेष प्रेरणा दी। उन्होंने बताया कि अंतिम समय में कोई काश की गुंजाइश न रहे इसलिए हर क्षण जागरूक रहने का महत्व समझाया। वहीं खाद्य संयम दिवस के अवसर पर खाने का मस्तिष्क पर पड़ने वाला प्रभाव बताते हुए कुछ टिप्स दिए। सायंकालीन प्रवचन में मुमुक्षु रिचा ने मंगल भावनाओं की अनुप्रेक्षा कार्रवाई व इसके बाद श्री संपदा के कुछ टिप्स बताएं। मुमुक्षु बहनों द्वारा "समता के समंदर" गजसुकुमाल पर आख्यान का प्रारंभ किया वहीं दूसरे दिन स्वाध्याय दिवस पर मुमुक्षु रक्षा द्वारा उत्कृष्ट धर्म मंगल की चर्चा की गई और बताया गया की 14 नियम द्वारा श्रावक पहाड़ जितने पाप को भी राई जितना कैसे कर सकते हैं। महावीर जीवनी में नयसार भव की चर्चा करते हुए सम्यक्तव प्राप्ति के महत्व को बताया। मुमुक्षु संयोजिका भाविका द्वारा स्वाध्याय दिवस पर विशेष प्रेरणा देते हुए बताया गया कि स्वाध्याय सबसे बड़ा तप है और साथ ही आचार्य महाप्रज्ञ की एक पुस्तक एक वर्ष के भीतर पढ़ने का संकल्प करवाया। वही सायंकालीन कार्यक्रम में परमार्थिक शिक्षण संस्था की शॉर्ट मूवी के द्वारा मुमुक्षु बहनों के पूर्व जीवन एवं यहां तक के सफर की कहानी की जानकारी साझा की गई।

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