नौतपा से तप रहे है लोग, बढ़ रहे है मरीज, डॉक्टर बता रहे है ये बचाव...

नौतपा से तप रहे है लोग, बढ़ रहे है मरीज, डॉक्टर बता रहे है ये बचाव...
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भीलवाड़ा (विजय गढ़वाल) । नौतपा का असर आम आदमी के साथ साथ अब चिकित्सालय में भी देखा जा रहा है। यहां उल्टी दस्त के रोगियों की संख्या तो बढी ही है साथ ही चर्म रोग के मरीजों की संख्या में बड़ा इजाफा हुआ है। मरीजों को अपनी बारी के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है तब जाकर चिकित्सक के पास पहुंच पा रहे है।

तेज गर्मी के चलते आम जनजीवन प्रभावित है। उल्टी, दस्त और अन्य रोग बढ़ रहे है। इसी के साथ चर्म रोगों के मरीजों में खासा इजाफा हुआ है। महात्मा गांधी अस्पताल के आउटडोर में चर्म रोग विशेषज्ञ महेन्द्र छापरवाल कक्ष के बाहर लम्बी कतारें लगी है। रोगियों के शरीर पर फुंसियां, प्राइवेट पार्ट के आस पास खुजली की शिकायतें अधिक हो रही है। इस संबंध में जब चर्मरोग विशेष डॉ.महेन्द्र छापरवाल का कहना है कि गर्मी के इस मौसम में पसीने के कारण फुंसियां हो रही है। पसीने के चलते प्राइवेट पार्ट के आस पास भी इसी तरह की समस्या हो रही है। सिर दर्द के मरीज भी बढ़े है।

डॉ.छापरवाल ने तेज गर्मी से बचाव के उपाय बताते हुए कहा कि जरूरत नहीं होने पर दोपहर में घर से बाहर नहीं निकले और जरूरत हो तो सनस्क्रीन लगाकर निकले। उन्होंने कहा कि पसीने से बचने के लिए नहाने के बाद शरीर सूखने पर अच्छा पाउडर लगायें। उन्होंने पुरानी पद्धति का भी उल्लेख करते हुए कहा कि नहाने से पहले मुल्तानी मिट्टी कुछ समय के लिए शरीर पर लगाकर रखें जिससे चिपचिपाहट से मुक्ति मिलेगी। उन्होंने कहा कि खाने पीने के लिए तेज मिर्च मसाले, चाय काफी का सेवन नहीं करना चाहिए इससे गर्मी होती है। उन्होंने कहा कि इस समय में सात्विक भोजन ही करना चाहिए।

उधर बढ़ती गर्मी के चलते हार्ट में भी प्रोब्लम आ रही है। सिद्धि विनायक के डॉ. सुनील मित्तल का कहना है कि तेज गर्मी से बचना चाहिए और खाने पीने में भी गर्म मसालों का उपयोग न हो और बाहरी चीजें भी उपयोग में न ली जाये।

बांगड़ चिकित्सालय के डॉ.नरेश खण्डेलवाल का कहना है कि तेज गर्मी से बचाव ही सबसे अच्छा रास्ता है जहां तक हो गर्मी से बचना चाहिए जिससे कई गंभीर बीमारियों से शिकार होने से बचा जा सकता है। उल्टी, दस्त, चक्कर के अलावा भी अधिक पसीना आने से किडनी पर असर होता है और हार्ट पर भी। उन्होंने कहा कि गर्मी से बचाव के लिए पानी, छाछ और लिक्विड पदार्थ का अधिक प्रयोग करें। गर्म और तेज मसालों से बचें।इस बारे में मजदूरों से पूछा तो उन्होंने एक व्यक्ति के लिए कहा जो जैन समाज से जुड़ा है। लोगों ने उससे पूछताछ की तो उसका कहना था कि यहां साधु संत निकलेंगे तो पेड़ों के नीचे कीड़े मकोड़े मर जायेंगे जिसके चलते ऐसा किया गया। लेकिन बाद में यह काम रोक दिया गया।


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