पर्यावरण संरक्षण के लिए सही स्थान पर सही पौधा लगाएं

पर्यावरण संरक्षण के लिए सही स्थान पर सही पौधा लगाएं
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भीलवाड़ा |पर्यावरणविद् बाबूलाल जाजू ने बताया कि सही स्थान पर उचित पौधे का चयन करना बेहद आवश्यक है। इससे न केवल पौधे का जीवन लंबा होता है, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन भी बेहतर तरीके से स्थापित होता है।

जाजू ने बताया कि आज आवश्यकता है कि लोग पौधे लगाने से पहले यह जानें कि कौनसा पौधा किस स्थान पर उपयुक्त रहेगा। उन्होंने विभिन्न स्थानों के अनुसार पौधों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि आवासगृहों के बाहर अशोक, कदम, मौल , करंज, अमलतास, कचनार, गुलमोहर आदि पौधे लगाए जाएं।

आवासगृहों के अंदर की क्यारियों में गुलाब, रातरानी, गुड़हल, चांदनी, हारश्रृंगार, कनेर, एकजोरा, चंपा, मीठा नीम, दिन का राजा, मधुकामिनी, मोगरा, चमेली के पौधे उपयुक्त हैं। बड़े स्थान या कृषि भूमि में फल देने वाले पौधे नींबू, अमरूद, अनार, आम, सीताफल, संतरा, शहतूत, जामुन, आंवला, चीकू लगाना लाभकारी है। बिजली के तारों के नीचे या सीमित ऊँचाई वाले क्षेत्रों में बॉटलब्रश, चंपा, चांदनी, कनेर, गुड़हल, हारश्रृंगार जैसे मध्यम आकार के पौधे उपयुक्त हैं। विद्यालयों, अस्पतालों, श्मशानों व सार्वजनिक स्थलों पर नीम, पीपल, शीशम, जामुन, बरगद, करंज, बेर, किकर, इमली, आम, आंवला जैसे दीर्घायु व छायादार वृक्ष लगाना चाहिए।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि गमलों में लगाने वाले पौधों के लिए धूप व छाया के अनुसार पौधे अलग-अलग होने चाहिए। धूप में सायकस, मटरबेल, स्नेक जैसे पौधे बेहतर होते हैं, वहीं छाया में एरूकेरिया, टोपीकृष्णा, क्रॉेटन, मनी प्लांट, फोनिसपाम, सिंघानिया, कोलिश, सन ऑफ इंडिया आदि पौधे अच्छे से पनपते हैं। जिन घरों में कच्ची जगह नहीं है उनके द्वारा गमले में 24 घंटे प्राणवायु देने वाले एरिकापाम, मनीप्लांट, स्नेक प्लांट लगाये जा सकते हैं। जाजू ने कहा कि केवल पौधे लगाना पर्याप्त नहीं, बल्कि स्थान, प्रकार, और देखभाल का समुचित ध्यान रखते हुए समय-समय पर निराई-गुड़ाई, सुरक्षा भी अति आवश्यक है। पौधे लगाने के लिए 2 फीट बाई 2 फीट का गड्ढ़ा उचित होता है एवं खाद-पानी का विशेष ध्यान रखना होता है।

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