सात समुंदर पार मक्का शरीफ ने हिंदुस्तान के लिए अमन चेन सुख समृद्धि की दुआ की

सात समुंदर पार मक्का शरीफ ने हिंदुस्तान के लिए अमन चेन सुख समृद्धि की दुआ की
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आकोला (रमेश चंद्र डाड)उमराह यात्रा एक पवित्र इस्लामी तीर्थ यात्रा है जिसका बहुत महत्व है और हर साल लाखों मुस्लिम तीर्थ यात्री मक्का शरीफ में मस्जिद अल हरम जाकर यात्रा करते हैं उमराह तीर्थयात्रा उन कई तरीकों में से एक है जिसके माध्यम से अपने गुनाहों की तौबा करते हैं जियारत उमराह का एक अनिवार्य हिस्सा है जो तीर्थ यात्रियों को परम संतुष्टि की भावना प्रदान करता है

लीडर हाजी मोहम्मद आरिफ मीर बीगोद के साथ मक्का मुकरमा की जियारत के लिए निकले

मांडलगढ़ क्षेत्र के बीगोद से सबसे छोटी उम्र में उमराह सफर पर जाने वाली 2 साल की फातिमा बानू सिलावट वालिद अबरार सिलावट , अफरोज सिलावट इनके साथ ही 13 साल के अनस नीलगर, गुलाम नबी, सहमा बानू रंगरेज के साथ इस मुकद्दस सफ़र में गए है , जाने वाले हजरात बीगोद,से गुलाम नबी ओर शमा बानू रंगरेज, अब्दुल अली, जुबेदा बानू, राबिया बानू मुल्तानी, इरफान लोहार, आकोला से खुदा बख्श, शरीफन रंगरेज,भीलवाड़ा हाफिज मोहम्मद उमर, आमना बी ,मोहम्मद इमरान, साबरा बानू मुल्तानी, मुमताज मंसूरी,डिग्गी मालपुरा से मुन्नी बीसायती, आरिफ़ बीसायती क्षेत्र से 35 जायरीनो ने पहली जियारत जबले शोर, मैदान अरफात, जबले रहमत, मैदान ऐ मुजदलफा , मस्जिद ए खेप, मीना, नहरे जुबेदा, गारे हीरा के बाद ग्रुप के सभी साहिबान अपनी निकट मस्जिद चौराहा से तीसरे उमराह के लिए दो रकात नमाज अदा की और उमराह की नियत करके अहराम पहना फिर जन्नतुल माला मस्जिद ए फतेह है मस्जिद ए जिन मस्जिद सजर की जियारत की फिर उमराह मुकम्मल किया अल्लाह हर एक मुसलमान को इस पाक मुकद्दस जगह पर आने की तमन्ना करता है

जायरीनों ने उमराह यात्रा की जियारत कर खुदा बख्श रंगरेज ने बताया कि मस्जिदआयशा मस्जिद ए तनीम मक्का सात समुंदर पार मक्का शरीफ में दुआ की हिंदुस्तान में अमन चेन सुख समृद्धि खुशहाली के साथ दुनिया में शक्तिशाली देश बनने की दुआ की सऊदी अरब के महत्वपूर्ण स्थान है यह मस्जिद पवित्र काबा शरीफ से लगभग पांच मील की दूरी पर स्थित है इसलिए तीर्थ यात्री इहराम पहनकर इस मस्जिद में प्रवेश करते हैं हजरत आयशा को पैगंबर मोहम्मद ने विदाई तीर्थ यात्रा के दौरान यहां उमराह करने का निर्देश दिया था तब से इस मस्जिद का नाम मस्जिद आयशा पड़ा |आम तौर पर तीर्थ यात्री इस स्थान पर दो नफ्ल नमाज पेश करते हैं और उमराह की अपनी पवित्र यात्रा शुरू करते हैं

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