जैविक खेती को बढ़ावा- सहाड़ा ब्लॉक में एसडीएफ, एफईएस व गोयल संस्थान की पहल

जैविक खेती को बढ़ावा- सहाड़ा ब्लॉक में एसडीएफ, एफईएस व गोयल संस्थान की पहल
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गंगापुर |जिले के सहाड़ा ब्लॉक में एसडीएफ (सरोज देवी फाउंडेशन), एफईएस एवं गोयल ग्रामीण विकास संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में रसायन मुक्त खेती अभियान के अंतर्गत जैविक खेती को लेकर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए। यह कार्यक्रम सोनियाणा, अरनिया खालसा एवं भरक गांवों में संपन्न हुए, जिनमें किसानों को जैविक विधियों से खेती करने के लिए प्रेरित किया गया।

इस दौरान सोनियाणा व भरक गांव में किसानों को सरल कंपोस्ट (सरल खाद) तैयार करने का व्यवहारिक प्रशिक्षण भी दिया गया। इस तकनीक के माध्यम से 30 किलो देसी गाय का ताजा गोबर, 30 किलो छाछ और 2 किलो गुड़ को 200 लीटर पानी के ड्रम में मिलाकर तैयार किया गया घोल, रोड़ी में बनाए गए खड्डों में डाला जाता है। फिर इसे ढक दिया जाता है, जिससे लगभग 60 दिनों में पूरी खाद तैयार हो जाती है। यह खाद पूर्ण रूप से जैविक होती है और मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में सहायक होती है।

अभियान समन्वयक महेश चंद्र नवहाल ने बताया कि सोनियाणा में स्थानीय समन्वयक रिंकू कंवर के प्रोत्साहन से अनिता, पूजा व सुमन चंदोलिया ने अपने निजी बाड़े में गोयल ग्रामीण विकास संस्थान कोटा द्वारा विकसित सरल कंपोस्ट विधि का अभ्यास किया। यह पहल गांव में अन्य महिलाओं को भी जैविक खेती की ओर आकर्षित कर रही है।

प्रशिक्षण कार्यक्रम में पूर्व सरपंच मोहनलाल चंदोलिया, पूर्व सरपंच भेरूलाल जाट व सामाजिक कार्यकर्ता ईश्वर दास ने भी भाग लिया और जैविक खेती की उपयोगिता पर अपने विचार व्यक्त किए। महेश नवहाल ने बताया कि वर्तमान में जो गोबर खाद खेतों में डाली जाती है, वह अक्सर अधपकी व कच्ची होती है, जिससे खेतों में दीमक व हानिकारक कीट फैलते हैं। जबकि सरल कंपोस्ट विधि से बनी खाद खेतों के लिए पूरी तरह सुरक्षित और लाभकारी होती है।

इस अभियान का लक्ष्य सहाड़ा, करेड़ा व जहाजपुर ब्लॉक की 28 पंचायतों के 142 गांवों में जैविक खेती को बढ़ावा देना है। इन क्षेत्रों में किसानों को पारंपरिक रसायनों से हटकर प्राकृतिक तरीकों से खेती करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, जिससे भूमि की उर्वरता, फसल की गुणवत्ता और किसानों की आमदनी तीनों में सुधार हो सके।

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