रोगियों को स्वयं गोद लेकर कर रहे पोषण सामग्री का सहयोग

भीलवाड़ा। प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत के विजन को साकार करने की दिशा में जिला कलेक्टर जसमीत सिंह संधू के नेतृत्व में चिकित्सा विभाग ने एक सराहनीय एवं संवेदनशील पहल की है। चिकित्सा विभाग के अधिकारी व कर्मियों ने जनसरोकार की दिशा में कदम बढ़ाते हुए स्वयं ‘निक्षय मित्र’ बनकर टीबी रोगियों को पोषण एवं मानसिक सहयोग देने की अनूठी मिसाल पेश की है। इसी कड़ी में सोमवार को जिले के सीएमएचओ कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में जिले के 50 टीबी रोगियों को कार्यालय के अधिकारी व स्वास्थ्य कार्मिकों द्वारा बारी-बारी से ‘निक्षय पोषण सामग्री किट’ वितरित की गई।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सी.पी. गोस्वामी ने बताया कि जिला कलेक्टर के निर्देशन में टीबी रोगियों को पोषण की सहायता प्रदान करने को लेकर अब तक 1372 से अधिक चिकित्सा कार्मिक ‘निक्षय मित्र’ बन चुके हैं, जिनके माध्यम से 2019 से अधिक टीबी रोगियों को पोषण व सहयोग प्राप्त कराया गया है। उन्होंने जिले के चिकित्सा अधिकारी व कार्मिकों की इस पहल को मानवता की सेवा में एक अनुकरणीय उदाहरण बताया और आमजन से भी अधिकाधिक रोगियों को गोद लेकर उनके उपचार में सहभागी बनने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “टीबी का इलाज संभव है, यदि नियमित दवा और पौष्टिक आहार मिले। चिकित्साकर्मियों की यह पहल समाज को प्रेरणा देने वाली है।”
उन्होंने बताया कि 27 से 31 जुलाई तक चलने वाले इस राज्यव्यापी अभियान के तहत चिकित्सा विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी आगे आकर रोगियों को गोद ले रहे हैं और उन्हें पोषण किट, सहयोग व संबल प्रदान कर रहे हैं। इस अभियान के तहत नवीन ‘निक्षय मित्रों’ की पहचान, पंजीकरण एवं मरीजों से संपर्क सुनिश्चित किया जा रहा है, ताकि रोगी उपचार की पूरी अवधि में हरसंभव सहयोग प्राप्त कर सकें।
गांव-गांव, ढाणी-ढाणी तक पहुंच रहा अभियान-
यह अभियान न केवल जिला मुख्यालयों तक सीमित है, बल्कि ब्लॉक स्तर से लेकर ग्राम पंचायत स्तर तक सक्रिय रूप से चलाया जा रहा है। स्थानीय चिकित्साकर्मी भी आगे बढ़कर निक्षय मित्र बन रहे हैं और अपने स्तर पर रोगियों को सहायता प्रदान की जा रही हैं।
कार्यक्रम में जिला क्षय अधिकारी डॉ. प्रदीप कटारिया सहित विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण एवं बड़ी संख्या में चिकित्सा कर्मी उपस्थित रहे। सभी ने अपने-अपने स्तर पर रोगियों को पोषण किट वितरित कर यह संदेश दिया कि समाज यदि चाहे तो हर रोग से लड़ा जा सकता है, बस आवश्यकता है सहयोग, संवेदनशीलता और संकल्प की।