छठ मैया की आराधना में बाधा नहीं बारिश: रोशनी और आतिशबाज़ी के बीच व्रतियों ने दिया संध्या अर्घ्य

भीलवाड़ा हलचल। चार दिवसीय छठ महापर्व का तीसरा दिन संध्या अर्घ्य सोमवार को भीलवाड़ा में बारिश की झमाझम फुहारों के बीच भी अटूट श्रद्धा और उत्साह के साथ** मनाया गया।सुबह से ही आसमान में बादलों का डेरा था और रुक-रुककर बारिश होती रही, लेकिन श्रद्धालुओं की आस्था इतनी प्रबल रही कि **मौसम भी उनकी भक्ति के आगे नतमस्तक हो गया।**शाम ढलते ही जब सूर्य अस्त होने को हुआ, तब भीलवाड़ा के घाटों, तालाबों और घरों की छतों पर **दीपों की रोशनी और आतिशबाज़ी की चमक** ने पूरे शहर को भक्ति से आलोकित कर दिया।
🌦️ बारिश के बावजूद उमड़ा आस्था का सैलाब
भोर से शुरू हुई बारिश दिनभर रुक-रुककर चलती रही, लेकिन श्रद्धालुओं के जोश में कोई कमी नहीं आई।
मुख्य आयोजन **जलदाय विभाग परिसर में बने टैंक पर** हुआ, जहां व्रतियों ने परिवार सहित डूबते सूर्य को दूध, गंगाजल और दीपक से अर्घ्य अर्पित किया। दिनेश साहनी ने बताया की इस बार साफ सफाई तो ठीक की गई लेकिन समस्याओ का समाधान नहीं किया ,उन्होंने इस पर भी आश्र्चय जताया की इतने बड़े पर्व पर इस बार कोइ जन प्रतिनिधि वाटर वर्क्स नहीं पहुंचा ,
इसके अलावा **मानसरोवर झील, नेहरू तलाई और विभिन्न कॉलोनियों में बने कृत्रिम तालाबों और घरो पर भी पर भी श्रद्धालु छठी मइया की पूजा में डटे रहे।
अधिकाँश व्रती बारिश में भीगते हुए ही घाटों तक पहुंचे। जब उन्होंने “**छठी मइया के जयकारे**” लगाए, तो बारिश की बूंदें भी मानो आशीर्वाद बनकर उन पर बरस रही थीं। बारिस के बावजूद उनकी आस्था में कोइ कमी नजर नहीं आई ;पानी में खड़े होकर महिलाओं ने डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया। परिवार की खुशहाली और उन्नति के साथ पति की लम्बी उम्र की कामना महिलाओं ने की। महिलाओं ने नाक से लेकर सिर तक सिंदूर लगाया। सोमवार सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही चार दिवसीय छठ महापर्व का समापन होगा।
🎇 रोशनी, भक्ति और उत्साह का संगम
शहर में शाम ढलते ही **दीपों की कतारें, झिलमिल लाइटें और आसमान में छिटकती आतिशबाज़ी** ने नज़ारा मनमोहक बना दिया।
हर ओर से छठी मइया के भजनों की धुनें गूंज रही थीं —
“कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए...” जैसी मधुर आवाज़ों ने वातावरण को भक्तिमय कर दिया।
भीलवाड़ा के विभिन्न इलाकों में महिलाओं ने **पारंपरिक वेशभूषा में सूप लेकर अर्घ्य अर्पित किया**, और चारों ओर “छठ मइया की जय” के स्वर गूंज उठे।
प्रशासन रहा सतर्क, अपील की सावधानी की
बारिश और फिसलन को देखते हुए प्रशासन ने श्रद्धालुओं से सावधानी बरतने की अपील की।
नगर निगम , पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीमें घाटों पर मुस्तैद रहीं।
बिजली के तारों और अस्थायी लाइटों से दूरी बनाए रखने की हिदायत दी गई।
नगर परिषद कर्मियों ने पानी भराव वाले स्थलों पर **सफाई और निकासी की व्यवस्था** भी की, जिससे श्रद्धालुओं को कम परेशानी हुई।
व्रती डटे रहे संयम और श्रद्धा के साथ
छठ व्रती 36 घंटे के निर्जला उपवास के बाद अर्घ्य देते हैं।
व्रती शुद्ध वस्त्रों में सूप में फल, दीपक, गन्ना, नारियल और ठेकुआ सजाकर सूर्यदेव को अर्पित करते हैं।
मान्यता है कि इस दिन **सूर्यदेव और छठी मैया की उपासना** से संतान की दीर्घायु और परिवार में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
समिति की अध्यक्ष अर्चना दुबे ने कहा कि छठ पूजा हमारे समाज की एकता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। इस आयोजन में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया और भगवान सूर्य की पूजा-अर्चना की।
🌅 कल भोर में होगा उदयाचल सूर्य को अर्घ्य
अब व्रती मंगलवार की भोर में **उदयाचल सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर छठ महापर्व का समापन** करेंगे।
यह दिन सिद्ध करेगा कि **बारिश भले ही रास्ता भिगो दे, पर आस्था की लौ को कभी बुझा नहीं सकती।**
छठ की इस संध्या ने फिर साबित किया — *“भक्ति की रोशनी हर बाधा पर भारी पड़ती है।”* 🌼
छठ पूजा घाटो की सजावट व स्वच्छता का अवलोकन
पूर्वांचल के इस मुख्य लोकप्रिय महापर्व छठ पूजा को प्रोत्साहन देने की दृष्टि से जिला यूनेस्को एसोसिएशन व पूर्वांचल जन चेतना समिति की ओर से प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है। जवाहर फाउंडेशन के प्रभारी रजनीश वर्मा की अध्यक्षता में बनाई गई कमेटी के सदस्यों ने शहर के मानसरोवर झील, वाटर वर्क्स, नेहरू तलाई, व न्यू पटेल नगर सहित विभिन्न घाटों का यूनेस्को द्वारा निर्णायक कमेटी के सदस्यों ने अवलोकन किया। सभी कमेटी के सदस्यों ने घाटो की साफ सफाई व स्वच्छता के साथ-साथ साज-सजाओ को भी देखा।निर्णायक कमेटी में जिला यूनेस्को एसोसिएशन के अध्यक्ष ललित अग्रवाल, प्रवक्ता मधु लोढा, राजकुमार माली साधना मेंलाना और गोपाललाल माली अवलोकन के दौरान शामिल रहें।
