रामलाल जाट बोले- भीलवाड़ा में भाजपा नेतृत्वविहीन,धर्म के नाम पर राजनीति कर रहे छुटभैये, और अच्छे नेताओं को पीछे धकेल दिया

भीलवाड़ा हलचल
पूर्व राजस्व मंत्री रामलाल जाट कांवड़ यात्रा के पोस्टर हटाए जाने को आज तीख तेवर और हमलावर नजर आये । जाट ने भाजपा नेताओं पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि धार्मिक यात्रा के पोस्टर तो छुटभैये नेताओं को दिखते हैं, लेकिन उन्हें गायों की दुर्दशा नहीं दिखती जो सालों से भीलवाड़ा में उपेक्षित हैं।"जाट ने आरोप लगाया कि भीलवाड़ा में भाजपा नेतृत्वविहीन हो चुकी है और अच्छे नेताओं को पीछे धकेल दिया गया है। उन्होंनेमांडल क्षेत्र के विधायक का नाम लिए बेगर कहा, धर्म के नाम पर वोट लेने वाले कुछ अपरिपक्व नेता इस तरह के हथकंडे अपना रहे हैं।
राजनीति में मोक्ष खोज रहे महाराज
मीडिया से बात करते हुए पूर्व मंत्री जाट ने एक और तंज कसा —
"कोई महाराज मोक्ष के लिए बनता है, समाज को धर्म सिखाने के लिए बनता है। लेकिन आजकल कुछ महाराज राजनीति में आ गए हैं... उन्हें अब राजनीति में ही मोक्ष नजर आ रहा है।"*भाजपा द्वारा कांग्रेस पर धर्म के नाम पर सियासत करने के आरोपों पर उन्होंने कहा कि जिसकी श्रद्धा होती है, वो देवी-देवताओं की पूजा करता है. वहीं, भजन और भोजन हमेशा पर्दे में किया जाता है, लेकिन कुछ असामाजिक तत्व इसे लोगों की भावनाओं को भड़काने के लिए इस्तेमाल करते हैं और ये सरासर गलत है. ऐसे लोग किसी भी पार्टी में हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि वो किसी पार्टी का नाम नहीं लेंगे.
धर्म से ज्यादा दिखता है डर!" – रामलाल जाट का तंज**
जाट ने कहा, *"धार्मिक यात्रा के पोस्टर तो कुछ छुटभैये नेताओं को बहुत जल्दी दिख जाते हैं, उन्होंने कहा कि **भारतीय जनता पार्टी भीलवाड़ा में नेतृत्वविहीन हो चुकी है** और जिन नेताओं में सच में समाज के लिए कुछ करने की क्षमता थी, उन्हें हाशिए पर ढकेल दिया गया है।उन्होंने सीधे तौर पर किसी भाजपा नेता का नाम नहीं लिया, लेकिन स्पष्ट इशारा मांडल क्षेत्र के भाजपा विधायक उदयलाल भड़ाना की ओर था, जिन्होंने इस कांवड़ यात्रा के पोस्टरों को लेकर प्रशासन से शिकायत की थी।
धर्म के नाम पर राजनीति करने वाले अपरिपक्व नेता हैं"
पूर्व मंत्री ने कहा, *"आज कुछ ऐसे नेता भाजपा में आगे कर दिए गए हैं, जिन्हें न सामाजिक समझ है, न परिपक्वता। ये नेता धर्म का चोला ओढ़कर जनता को भ्रमित करने का काम कर रहे हैं। अगर यही ऊर्जा वो जनता की सेवा में लगाते, तो शायद भीलवाड़ा की हालत कुछ और होती।
उन्होंने जोड़ा, *"हमने तो केवल एक धार्मिक यात्रा निकाली थी, वह भी बिना किसी राजनीतिक मकसद के। लेकिन अब हर धार्मिक आयोजन को भी राजनीति की नजर से देखा जा रहा है।"*
क्या है पूरा मामला?
भीलवाड़ा जिले के **मांडल कस्बे** से हर साल **रामलाल जाट** के नेतृत्व में कांवड़ यात्रा निकाली जाती है, जो करीब **21 किलोमीटर दूर हरणी महादेव मंदिर** तक जाती है। इस वर्ष यह यात्रा विशेष धार्मिक महत्व के साथ आयोजित की जा रही थी, जिसे लेकर **शहर भर में पोस्टर और होर्डिंग** लगाए गए थे।
लेकिन दो दिन पहले मांडल विधायक **उदयलाल भड़ाना** ने प्रशासन से शिकायत कर इन पोस्टरों को **नियम विरुद्ध** बताया और इन्हें हटाने की मांग की। शिकायत पर कार्रवाई करते हुए प्रशासन ने तुरंत होर्डिंग्स हटवा दिए।
प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल
रामलाल जाट ने इस कार्रवाई पर नाराजगी जताते हुए कहा, *"हमारी यात्रा को लेकर इतनी जल्दी नियम याद आ गए, लेकिन शहर में जो अवैध होर्डिंग्स और धार्मिक नाम पर होने वाली दूसरे आयोजनों की धज्जियां उड़ाई जाती हैं, उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती। यह साफ दिखाता है कि कुछ ताकतें इस यात्रा को लेकर असहज थीं।"*
**यूआईटी और नगर निगम** के अधिकारियों ने इस विषय में कोई टिप्पणी देने से इनकार कर दिया है। लेकिन सूत्रों के अनुसार, यह कार्रवाई **सीधे राजनीतिक दबाव** के चलते हुई थी।
भाजपा की ओर से प्रतिक्रिया का इंतजार
इस पूरे विवाद पर अब तक भाजपा की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। हालांकि, भाजपा के कुछ स्थानीय नेताओं ने अनौपचारिक रूप से यह जरूर कहा है कि *"नियमों का पालन सभी को करना चाहिए, चाहे वह कोई भी नेता हो। धार्मिक आयोजन की आड़ में किसी व्यक्ति विशेष का प्रचार नहीं किया जा सकता।"*
जनता में भी दो राय
इस पूरे मामले पर **जनता में भी मिश्रित प्रतिक्रियाएं** सामने आई हैं। कई लोग इसे **सरासर राजनीति से प्रेरित कार्रवाई** बता रहे हैं, जबकि कुछ का मानना है कि *"सभी को नियमों का पालन करना चाहिए, चाहे वह कितना भी बड़ा नेता क्यों न हो।"*
कुछ भक्तों का कहना है कि *"कांवड़ यात्रा धार्मिक आस्था का प्रतीक है, इसमें अड़चन डालना गलत है। यह न केवल आस्था पर चोट है, बल्कि समाज को बांटने वाली राजनीति का उदाहरण है।"*
---
### **निष्कर्ष: धर्म बनाम राजनीति की रेखा धुंधली**
रामलाल जाट और भाजपा नेताओं के बीच यह तकरार केवल पोस्टर विवाद नहीं है, यह भीलवाड़ा की **स्थानीय राजनीति में चल रही अदृश्य खींचतान का एक सार्वजनिक रूप** बन गया है। जहां एक ओर धार्मिक आस्था को लेकर जनता में भावनात्मक जुड़ाव है, वहीं दूसरी ओर सियासी चालों ने इस जुड़ाव को भी अपना औजार बना लिया है।
इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि —
**"क्या धर्म अब केवल राजनीति का माध्यम बनकर रह गया है?"**