रेंजर ने खुदको लिजर्ड से कटवाया,दिखाया- ये जहरीला नहीं: 1 क्विंटल वजन खींच लेता है गोयरा

सत्यनारायण सेन गुरला गुरलां/ भीलवाड़ा । आज हम फोरेस्टर डे विशेष पर चंदन गोयरा (गोह) या 'बिजली गोयरा' नाम सुनते ही लोगों म सिहरन दौड़ जाती है। इसकी बनावट और लपलपाती जीभ को लेकर ग्रामीण इलाकों में धारणा है कि अगर यह जीव (गोह) किसी को काट ले, तो वह पानी तक नहीं मांगता, तुरंत मौत हो जाती है।
गोयरे को एक्सपर्ट मॉनिटर लिजर्ड के नाम से संबोधित करते हैं।
गोयरे में न तो जहर होता है न ही इसके काटने से किसी की मौत होती है।
ये साबित करने के लिए एक्सपर्ट (रेंजर) ने इससे खुद को कटवाया, इसका वीडियो डाला और लोगों को जागरूक किया।
एक्सपर्ट बताते हैं- इनके नाखून बेहद तेज होते हैं, वयस्क गोयरा करीब 1 क्विंटल का वजन खींच सकता है।
इतिहासकार कहते हैं- शिवाजी के सेनापति तानाजी मालसुरे गोयरे का उपयोग किले की दीवारों में चढ़ने के लिए करते थेवीडियो बना कर दिया जागरूकता का संदेश
कुलदीप शर्मा भीलवाड़ा व प्रशांत शर्मा चित्तौड़गढ़ का वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में रहा। उन्होंने यह वीडियो लोगों को जागरूक करने के मकसद से बनाया था। उन्होंने बताया कि यह गोयरा चार साल का था, और जब उसने उन्हें काटा, तब भी न कोई सूजन हुड और न ही कोई विष प्रभाव।
उनका साफ संदेश था "कभी भी किसी वन्यजीव को अंधविश्वास के चलते न मारें।"
गोयरा है एक शर्मीला और पर्यावरण हितैषी जीव
मॉनिटर लिजर्ड यानी गोयरा एक बेहद शांत और शर्मीला जीन होता है। आमतौर पर यह छोटे पत्थरों, चट्टानों या जमीन में खुदे बिलों में रहता है। ये खुद के बिल बनाते हैं या दूसरों के बिलों में भी रह सकते हैं।
बारिश के समय जब बिलों में पानी भर जाता है, तो ये जीव रिहायशी इलाकों में दिखने लगते हैं। रेंजर शर्मा कहते हैं -
लोग डर जाते हैं, हमें फोन आते हैं कि कुछ करिए। लेकिन असल में वह जीव इंसानों से बचने की कोशिश कर रहा होता है। यह हमला नहीं करता, सिर्फ अपना बचाव करता है।