रसधारा की रंगमंच कार्यशाला का समापन

रसधारा सांस्कृतिक संस्थान द्वारा पिछले 15 दिनों से नाट्य कला एवं रंगमंच के माध्यम से शहर के युवाओं के साथ साक्षात सभागार मे रंगमंच की बारीकियों को अच्छे से जानने एवं समझने हेतु नाट्य कार्यशाला की जा रही है। रसधारा प्रांगण मे आयोजित 15 दिवसीय रंगमंच कार्यशाला का कल समापन हुआ। इस कार्यशाला के अन्तर्गत एक्टिंग, वॉइस, इमेजिनेशन, क्रिएटिविटी, इंप्रोवईजेशन और सीन बिल्डिंग पर कार्य किया गया । कार्यशाला निदेशक रवि ओझा और अनुराग सिंह रहे और मार्गदर्शन गोपाल जी आचार्य का रहा। जिसमें 20 प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यशाला के अंत में सभी प्रतिभागियों द्वारा एक लघु नाटक गाँव की पाठशाला का मंचन रसधारा के साक्षात सभागार में किया गया। मंच पर रंजन, मधु, चंचल , सुरेंद्र, अंकित, हिरल, मोनिका, दीया, दुष्यंत, राजन , दिनेश, शालवीन, सभ्यता, एवंत, अन्वय, उमंग ने प्रस्तुति दी।
मंचन के पश्चात सभी प्रतिभागियों द्वारा दर्शकों के समक्ष अपने अनुभव साझा किये गए । तत्पश्चात राजस्थान के वरिष्ठ रंगकर्मी ललित कला अकदमी पुरस्कृत एवं रसधारा संस्थान के संस्थापक गोपाल जी आचार्य द्वारा मंचन की समीक्षा कर उन्हे और बेहतर करने के लिए प्रेरित किया तथा रंगमंच से हम अपने जीवन में किस प्रकार आनंद एवं अपनी समझ को विकसित कर सकें ये समझाया। उन्होंने ये भी बताया की रंगमंच केवल मनोरंजन के लिए नही है ये हर दिन आपके जीवन को, आपके अनुभव को और आपकी समझ को पहले बेहतर बनाता है।