सुरक्षित अनाज भण्ड़ारण वर्तमान समय की आवश्यकता-डाॅ. महला

सुरक्षित अनाज भण्ड़ारण वर्तमान समय की आवश्यकता-डाॅ. महला
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भीलवाड़ा |कृषि विज्ञान केन्द्र भीलवाड़ा पर अनुसंधान निदेशालय, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर द्वारा प्रायोजित अनुसूचित जाति उपयोजनान्तर्गत एक दिवसीय कृषक प्रशिक्षण एवं आदान वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण में राजस्थान कृषि महाविद्यालय, उदयपुर के डीन डाॅ. मनोज महला ने बताया कि आज अनाज को सुरक्षित रखना किसानों केे लिए सबसे बड़ा चुनौतिपूर्ण कार्य है। डाॅ. महला ने बताया कि वर्तमान में भारत की बढ़ती आबादी को देखते हुए अनाज के सुरक्षित भण्ड़ारण के साथ-साथ जनसंख्या नियन्त्रण भी परम आवश्यक है। डाॅ. महला ने अनाज को सुरक्षित रखने के तरीके बताते हुए सुरक्षित अनाज भण्ड़ारण हेतु काम में लिये जाने वाले पदार्थों की जानकारी से भी अवगत करवाया। डाॅ. महला ने डेयरी एवं खाद्य विज्ञान महाविद्यालय, उदयपुर के अधिष्ठाता डाॅ. लोकेश गुप्ता का आभार जताया कि निम्न आय वर्ग वाले कृषक एवं कृषक महिलाओं के उत्थान हेतु अनुसूचित जाति योजनान्तर्गत तीन क्विंटल अनाज भण्ड़ारण कोठियाँ उपलब्ध करवाई। डाॅ. आर. एल. सोनी, निदेशक प्रसार, प्रसार शिक्षा निदेशालय, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय उदयपुर ने आह्वान किया कि किसान भाई अच्छी किस्म के बीजों का सुरक्षित भण्ड़ारण कर आगामी सीजन हेतु बुवाई के काम मे लेकर उत्पादन लागत में कमी करें साथ ही अन्य किसानों को बीज उपलब्ध करवाकर अतिरिक्त आय अर्जित करें। डाॅ. सोनी ने बताया कि किसानों का लगभग 25 प्रतिशत अनाज किसी न किसी कारण से खराब हो जाता है। अतः वर्तमान में अनाज के सुरक्षित भण्ड़ारण की परम आवश्यकता है। केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डाॅ. सी. एम. यादव ने केन्द्र की गतिविधियों से अवगत करवाते हुए बताया कि कृषि विज्ञान केन्द्र भीलवाड़ा किसानों की सेवा में तत्पर है तथा किसान भाई किसानों के निरन्तर सम्पर्क में रहकर कृषि की नवीनतम तकनीकीयों को अपनायें। डाॅ. यादव ने सुरक्षित अनाज भण्ड़ारण के टिप्स देते हुए अनाज भण्ड़ारण के समय सावधानियाँ बतरते की आवश्यकता भी जताई। प्रशिक्षण में पोण्डरास, रूपाहेली एवं चावण्डिया के 30 कृषक एवं कृषक महिलाओं को अनाज के सुरक्षित भण्ड़ारण हेतु तीन क्विंटल भराव क्षमता वाली कोठियाँ उपलब्ध करवाई गई।

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