संत महाराज ने किया महारास लीला एवं रूक्मणी मंगल प्रसंग का वाचन

भीलवाड़ा, । शादी का मंच सजा हुआ था और बाराती कोई साधारण नहीं बल्कि देवी-देवता थे। बारात किसी ओर की नहीं स्वयं द्वारिकाधीश भगवान श्रीकृष्ण की थी। बारात में आज मेरे श्याम की शादी है, आज मेरे भगवान की शादी है जैसे गीत गूंज रहे थे और बाराती जमकर नाच-गान कर रहे थे। ये नजारा शुक्रवार दोपहर शहर के रोडवेज बस स्टेण्ड के पास अग्रवाल उत्सव भवन में शुक्रवार को पोरवाल परिवार की ओर से सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव के चौथे दिन सोजत रामद्वारा के रामस्नेही संत मुमुक्षु राम महाराज के सानिध्य में राम चरित्र एवं कृष्णजन्म नंदोत्सव प्रसंग के वाचन के दौरान दिखा। कथा का समापन शनिवार को होगा। कथा में छठे दिन रास महोत्सव, उद्धव गोपी संवाद, रूक्मणी विवाह प्रसंग का वाचन किया गया। इस दौरान कृष्ण-रूक्मणी विवाह की सजीव झांकी सजाई गई। प्रतीकात्मक रूप से मंच पर विवाह प्रसंग का नजारा पेश किया। जैसे ही रूक्मणी ने पति के रूप में भगवान कृष्ण का वरण करते हुए उनके गले में वरमाला डाली पांडाल में मौजूद सैकड़ो भक्तगण हर्षित होकर द्वारिकाधीश भगवान कृष्ण के जयकारे गूंजायमान करने लगे। हर तरफ खुशियां छा गई और हर भक्त भगवान कृष्ण की शादी के मंचन का साक्षी बन उल्लासित नजर आया और नाच-गाने के माध्यम से अपनी खुशियां जताने को आतुर दिखा। मंत्रोच्चार के साथ कृष्ण-रूक्मणी विवाह हुआ। संत मुमुक्षुरामजी महाराज ने रूक्मणी विवाह प्रसंग का वाचन करते हुए कहा कि रूक्मणी ने देवर्षि नारद से जब श्रीकृष्ण की कथा सुनी थी तभी मन ही मन कृष्ण को अपने पति रूप में चुन लिया था। उनके संदेश पर ही भगवान कृष्ण मां भगवती के मंदिर में उसे लेने पहुंचे और हर तरह के प्रतिरोध को समाप्त कर रूक्मणी संग द्वारिका पहुंचे तो वहां हर्ष का माहौल बन गया। रूक्मणी मंगल प्रसंग के लिए कथास्थल पर विशेष सजावट की गई थी। संत मुमुक्षुरामजी महाराज ने महारास लीला प्रसंग का वाचन करते हुए कहा कि महारास से परमात्मा की प्राप्ति का लक्ष्य पूरा हो रहा है जहां उनमें रम कर उनको आत्मसात किया जा सकता है। इन्द्रियां जिनके इशारे पर चलती है वह उनका स्वामी गोपाल है। गोपाल गोपियों को महारास के लिए आमंत्रित करता है तो वह सब काम छोड़ दौड़ी चली आती है। राधारानी और गोपियों का कृष्ण से प्रेम दैहिक नहीं होकर आत्मिक है। कथा शुरू होने से लेकर अंत तक श्रद्धालु संगीतमय भक्तिरस में डूबे रहे। श्रीमद् भागवत कथा के महारास लीला एवं रूक्मणी विवाह प्रसंगों के वाचन के दौरान बीच-बीच में भजनों की गंगा प्रवाहित होती रही। जैसे ही भजन शुरू होता श्रद्धालु अपनी जगह खड़े होकर नृत्य करने लगते। उन्होंने आओ सखी मुझे मेहंदी लगा दो मुझे श्याम सुंदर की दुल्हन बना दो, ये तो प्रेम की बात है बदंगी तेरे बश की नहीं है, यमुना किनारे बाबा रास रचो रे आदि भजन गाए तो पांडाल में सैकड़ो श्रद्धालु नृत्य करने से खुद को नहीं रोक पाए। छठे दिन कथा में व्यास पीठ का आशीर्वाद प्राप्त करने वाले अतिथियों में माहेश्वरी सभा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राधेश्याम सोमानी, जिलाध्यक्ष अशोक बाहेती, उपाध्यक्ष रामकिशन सोनी, कोषाध्यक्ष सुशील मरोटिया,
प्रहलाद अजमेरा, रामगोपाल राठी, पूर्व जिलाध्यक्ष दीनदयाल मारू, भैरूलाल सोमानी, आदित्य मालीवाल, ओम बियानी, सुनील बियानी, अरूण बियानी, अनिल पोरवाल आदि शामिल थे। अतिथियों का स्वागत पोरवाल परिवार के सदस्यों ने किया। कथा प्रारंभ एवं समापन के अवसर पर श्रद्धालुओं ने व्यास पीठ की आरती की। श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन शनिवार दोपहर एक से शाम 5 बजे तक श्री कृष्ण लीलाएं सुदामा चरित्र प्रसंग का वाचन होगा। महाआरती के साथ कथा का विश्राम होगा।
