राजस्थान में निजी स्कूलों के शिक्षकों का वेतन संकट गहरा, आरटीई भुगतान लंबित

राजस्थान में निजी स्कूलों के शिक्षकों का वेतन संकट गहरा, आरटीई भुगतान लंबित
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राजस्थान के निजी स्कूलों में शिक्षकों का वेतन संकट लगातार बढ़ता जा रहा है। इसका मुख्य कारण है कि अनिवार्य शिक्षा अधिकार (आरटीई) अधिनियम के तहत सरकार से मिलने वाली किश्तें अभी तक जारी नहीं की गई हैं। विशेषकर सत्र 2023-24 की दूसरी किश्त और सत्र 2024-25 की दूसरी किश्त का इंतजार महीनों से जारी है, जिससे कई स्कूलों का संचालन भी संकट में है।

**भारी देरी के कारण स्कूलों की वित्तीय स्थिति बिगड़ी**

प्रदेशभर में कुल 34,900 निजी स्कूल आरटीई योजना के तहत विद्यार्थियों को प्रवेश देते हैं, जिनमें:

* 16,345 माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूल

* 15,596 उच्च प्राथमिक स्कूल

* 2,959 प्राथमिक स्कूल शामिल हैं

इनमें से अधिकांश स्कूल अब भी भुगतान के इंतजार में हैं। छोटे और ग्रामीण स्कूलों की हालत इतनी खराब है कि शिक्षकों को वेतन देना भी मुश्किल हो गया है। कई स्कूल संचालकों ने बताया कि आरटीई विद्यार्थियों की संख्या उनके स्कूल में 60 प्रतिशत से अधिक है। किश्तें न मिलने की वजह से उन्हें बैंक से उधार लेकर शिक्षकों का वेतन देना पड़ रहा है। इसके अलावा भवन की मरम्मत, बिजली-पानी और सरकारी निरीक्षण शुल्क जैसी जिम्मेदारियां भी निजी स्कूलों की जेब पर बोझ बन गई हैं।

**आरटीई योजना: देरी की पुरानी परंपरा**

आरटीई योजना 2011 से लागू है। शुरुआत में नियमित भुगतान होता था, लेकिन अब हर साल दूसरी किश्त में भारी देरी देखने को मिलती है। राज्य के निजी स्कूलों में औसतन 25 प्रतिशत छात्र आरटीई श्रेणी के हैं। छोटे स्कूलों में यह प्रतिशत 40-50 तक भी पहुंच जाता है। समय पर भुगतान न होने से स्कूलों की वित्तीय प्रणाली चरमरा जाती है और शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होती है।

**भौतिक सत्यापन और जटिल प्रक्रिया कारण**

सरकार एक विद्यार्थी की वार्षिक फीस का भुगतान दो किश्तों में करती है। इसमें पहले भौतिक सत्यापन, फिर क्लेम बिल विद्यालय द्वारा प्रस्तुत करना, और इसके बाद विभाग द्वारा भुगतान जारी करना शामिल है। लंबी कागजी कार्रवाई के कारण महीनों की देरी हो जाती है।

**प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों की अनदेखी**

माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों को सत्र 2024-25 तक की फीस मिल चुकी है, लेकिन प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तर के स्कूलों को अभी भी इंतजार है। सत्र 2023-24 की दूसरी किश्त को डेढ़ वर्ष हो गया, जबकि सत्र 2024-25 की किश्त छह माह से लंबित है। इस देरी ने सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या सरकार प्राथमिक शिक्षा को प्राथमिकता नहीं दे रही।

**शिक्षकों का धैर्य जवाब दे रहा**

वेतन न मिलने के कारण कई शिक्षकों को घर चलाने में मुश्किल हो रही है। कुछ शिक्षकों ने दूसरी नौकरियों की तलाश शुरू कर दी है, जबकि कई स्कूलों में आंशिक वेतन या वेतन स्थगन जैसी स्थिति बनी हुई है। एक शिक्षिका ने कहा, “हमने बच्चों को पढ़ाने का वादा निभाया, पर सरकार ने अपने वादे पूरे नहीं किए। घर चलाना मुश्किल हो गया है।”

राजस्थान के निजी स्कूलों और उनके शिक्षकों के लिए यह संकट गंभीर है और तत्काल सरकारी हस्तक्षेप की जरूरत है, ताकि बच्चों की शिक्षा प्रभावित न हो और स्कूलों की प्रतिष्ठा सुरक्षित रह सके।

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