श्रीमद् भागवत गंगा मन को पवित्र करती है और गोविंद की प्राप्ति होती है: संत हरशुकराम

श्रीमद् भागवत गंगा मन को पवित्र करती है और गोविंद की प्राप्ति होती है: संत हरशुकराम
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भीलवाड़ा। शहर के रामद्वारा में सजंय कॉलोनी निवासी सामरिया परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह ज्ञानयज्ञ के पाचवें दिन मंगलवार को कथावाचक रामस्नेही संत हरशुकराम ने कथा में श्री कृष्ण बाललीला, माखन चोरी लीला, गोवर्धन लीला, रास लीला आदि प्रसंगो का वर्णन करते हुए कहा कि श्रीमद् भागवत गंगा के समान है। साथ ही संत श्री हरशुक राम द्वारा आज प्रवचन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष पर भक्तजनों को संदेश दिया। संत हरशुकराम ने कहा की भागवत को संतों ने गंगा का रूप दिया है। संतो के श्रीमुख से निकली वाणी गंगा कहलाती है। एक भागीरथी गंगा है और एक सत्संग रूपी भागवत गंगा है। इन दोनों में सबसे तेज प्रवाह भागवत गंगा का है। हरिद्वार में जो भागीरथी गंगा बह रही है वह तन को पवित्र करती है। श्रीमद् भागवत गंगा मन को पवित्र करती है और गोविंद की प्राप्ति होती है। इसलिए सबसे ज्यादा महत्व भागवत गंगा का है। आयोजक परिवार के रतनलाल सामरिया ने बताया कि कथा के दौरान छप्पन भोग व गोवर्धन पर्वत की झांकी सजाई गई। झांकियों को देखकर श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। अंत मे प्रसाद वितरण किया गया। कथा मे पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राधेश्याम सोमानी, जमनालाल कालिया, श्यामलाल डाड, कैलाश मूंदड़ा, राजेश अग्रवाल, विक्रांत पाराशर ने संत श्री का माल्यार्पण कर आशीर्वाद लिया। यह कथा प्रतिदिन प्रातः 9 बजे से दोपहर 12.15 बजे तक चलेगी। कथा के छठे कंस वध, द्वारिका गमन, रूकमणी विवाह होगा।

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