बन्द गुरुद्वारा खुलवाने हेतु कानूनी कार्यवाही की मांग, सिंधी समाज, शाहपुरा द्वारा जिला कलेक्टर को सौंपा प्रार्थना-पत्र

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भीलवाड़ा। जिले के शाहपुरा में स्थित गुरुद्वारा, जो लंबे समय से धार्मिक आस्था का केंद्र रहा है, के बन्द होने एवं उस पर निजी अधिकार जताए जाने के मामले को लेकर समस्त सिंधी समाज, शाहपुरा ने जिला कलेक्टर, भीलवाड़ा को विस्तृत प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत किया है। प्रार्थना-पत्र में गुरुद्वारा पुनः खुलवाने तथा आरोपितों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की मांग की गई है।

प्रार्थीगणों ने बताया है कि नगर पालिका शाहपुरा द्वारा 22 अक्टूबर 1951 को लाभसिंह पुत्र सुन्दर सिंह के पक्ष में भूखंड का पट्टा जारी किया गया था, जिसमें यह स्पष्ट उल्लेख था कि उक्त भूमि केवल धार्मिक उपयोग, अर्थात गुरुद्वारा निर्माण हेतु ही दी गई है। इस पट्टे पर उस समय के चेयरमैन, सचिव और धन संग्रह अधिकारी के हस्ताक्षर भी अंकित हैं। इसके बाद 12 जुलाई 1975 को नगर पालिका ने श्रीमती हरेन्द्र कौर, व्यवस्थापक गुरुद्वारा शाहपुरा, के नाम प्रमाण-पत्र जारी किया था।

समाज के अनुसार, इन दस्तावेजों में वर्णित भूखंड पर गुरुद्वारे का निर्माण समाज के लोगों के आर्थिक सहयोग और कार सेवा से किया गया था। गुरुद्वारे में गुरुग्रंथ साहिब की स्थापना भी की गई थी तथा धार्मिक पहचान के रूप में निशान साहिब भी लगाया गया था। 12 मई 2025 को लगी आग में गुरुद्वारे को काफी नुकसान हुआ, जिसके बाद नया गुरुग्रंथ साहिब नहीं लाया गया और इस स्थिति का लाभ उठाकर भसीन परिवार द्वारा गुरुद्वारा को निजी संपत्ति की तरह दिखाने का प्रयास किया गया।

प्रार्थना-पत्र में उल्लेख है कि 9 नवम्बर 2025 को गुरुद्वारे पर लगा पवित्र निशान साहिब हटाकर छिपा दिया गया, जो समाज की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला कृत्य है। इसके अतिरिक्त, गुरुद्वारे के मुख्य द्वार पर ताला लगा देना भी समाज द्वारा पूर्व में विरोध का विषय रहा है। इन सभी घटनाओं की शिकायत गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, अमृतसर, को भी भेजी गई थी, जिस पर जांच हेतु एक टीम शाहपुरा आई थी और समाज के सदस्यों के बयान दर्ज किए थे।

समाज का आरोप है कि भसीन परिवार द्वारा किए गए ये कार्य जानबूझकर धार्मिक भावनाओं को आहत करने और वैमनस्य फैलाने की नीयत से किए गए हैं, जो आपराधिक कृत्य की श्रेणी में आते हैं।

समस्त सिंधी समाज ने जिला कलेक्टर से मांग की है कि भसीन परिवार के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाए, गुरुद्वारे पर अवैधानिक रूप से लगाए गए ताले को तुरंत खुलवाया जाए तथा समाज के सदस्यों को नियमित रूप से गुरुद्वारा में अरदास करने की सुविधा सुनिश्चित कराई जाए।

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