शहीद दिवस पर आयोजित हुआ स्पर्श कुष्ठ रोग जागरूकता अभियान
भीलवाडा, । कुष्ठ रोग के प्रति जागरूकता बढाने व इससे जुड़ी भ्रांतियों को दूर कर लोगों को सही जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से आज गुरूवार को शहीद दिवस के अवसर पर स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान का आयोजन किया गया। इस दौरान जिलेभर में विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। जिला कलेक्टर श्री नमित मेहता के निर्देशन में पूरे जिले में इस अभियान को प्रभावी रूप से चलाया गया।
समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए की अपील-
शहीद दिवस के अवसर पर जिला कलक्टर श्री नमित मेहता ने सभी नागरिकों से अपील की कि वे कुष्ठ रोगियों के साथ संवेदनशीलता अपनाएं और उन्हें सामाजिक भेदभाव से बचाएं। साथ ही, यह सुनिश्चित किया जाए कि हर मरीज को समय पर उचित उपचार मिले, ताकि कुष्ठ रोग को जड़ से समाप्त किया जा सके।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ0 सी.पी. गोस्वामी ने बताया कि स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान के तहत जिलेभर में 30 जनवरी को विशेश ग्राम सभाओं का आयोजन कर कुष्ठ रोग के प्रति जागरूकता संदेश का पठन किया। उन्होंने बताया कि कुष्ठ रोग संक्रामक जरूर है, लेकिन यह पूरी तरह से इलाज योग्य भी है। समय पर पहचान और उपचार से इसे फैलने से रोका जा सकता है। उन्होंने जनसमुदाय से कुष्ठ रोगियों के प्रति भेदभाव समाप्त करने की अपील भी की।
ग्राम सभाओं में चला जागरूकता अभियान-
जिले के विभिन्न ग्राम पंचायतों में ग्राम सभाओं का आयोजन कर कुष्ठ रोग से संबंधित जागरूकता फैलाई गई। ग्राम सभा प्रमुखों ने इस रोग के प्रति समाज में व्याप्त गलत धारणाओं को दूर करने की अपील की। इन सभाओं में बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने भाग लिया।
प्रार्थना सभाओं में स्कूली बच्चों को दी उपयोगी जानकारी-
बच्चों और युवाओं को इस अभियान से जोड़ने के लिए शिक्षा विभाग के सहयोग से स्कूलों में प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इन प्रतियोगिताओं के माध्यम से छात्रों को कुष्ठ रोग के लक्षण, रोकथाम और उपचार के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां दी गईं। विद्यालयों में प्रार्थना सभाओं के दौरान विशेष जागरूकता सत्र आयोजित किए गए, जहां शिक्षकों और स्वास्थ्य कर्मियों ने छात्रों को कुष्ठ रोग से संबंधित उपयोगी जानकारी दी। बच्चों को यह बताया गया कि यह रोग किसी के भी साथ हो सकता है, लेकिन इसका इलाज संभव है और इसे लेकर कोई भेदभाव नहीं करना चाहिए।
जागरूकता फैलाने के लिए प्रचार-प्रसार गतिविधियों का आयोजन किया गया। प्रमुख सार्वजनिक स्थलों, विद्यालयों और स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रचार सामग्री लगाई गयी, ताकि अधिक से अधिक लोग इस बीमारी के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकें।