फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्र पर सख्ती: प्रदेश में शिक्षकों की होगी दोबारा मेडिकल जांच

भीलवाड़ा। राजस्थान में विभिन्न शिक्षक भर्तियों में दिव्यांग कोटे से नौकरी प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों द्वारा **फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्र** प्रस्तुत करने के मामलों के सामने आने के बाद सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय बीकानेर ने बड़ा फैसला लेते हुए चार प्रमुख भर्तियों में चयनित दिव्यांग शिक्षकों की **पुनः मेडिकल जांच** कराने के निर्देश जारी किए हैं।

चार भर्तियों के शिक्षक आएंगे जांच के दायरे में

प्रारंभिक शिक्षा निदेशक सीताराम जाट द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार, **शिक्षक भर्ती-2016, 2018, 2021-22 और 2022** में दिव्यांग श्रेणी में चयनित शिक्षकों की बेंचमार्क दिव्यांगता एवं दिव्यांगता प्रतिशत का पुन: परीक्षण संभाग स्तर पर अधिकृत राजकीय मेडिकल कॉलेज या हॉस्पिटल के मेडिकल बोर्ड से कराया जाएगा।

जांच से बढ़ी धड़कनें

इस निर्णय के बाद दिव्यांग कोटे से नियुक्त और कार्यरत शिक्षकों में बेचैनी बढ़ गई है। जांच के दौरान मेडिकल बोर्ड यह सुनिश्चित करेगा कि संबंधित अभ्यर्थी वास्तव में निर्धारित मापदंडों के अंतर्गत दिव्यांग की श्रेणी में आते हैं या नहीं।

गड़बड़ी पर होगी कार्रवाई

निदेशालय ने स्पष्ट किया है कि यदि जांच के दौरान किसी शिक्षक का प्रमाण पत्र **फर्जी या अनियमित** पाया जाता है, तो उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। यह कार्रवाई **दो माह के भीतर** पूरी की जानी अनिवार्य होगी। जांच की रिपोर्ट निदेशालय, कार्मिक विभाग और एसओजी (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) को भेजी जाएगी।

कार्मिक विभाग ने दिए थे निर्देश

गौरतलब है कि कार्मिक विभाग ने **28 अगस्त 2025** को जारी परिपत्र में राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में कार्यरत दिव्यांग कर्मचारियों का मेडिकल बोर्ड से पुनः परीक्षण कराने के निर्देश दिए थे। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया था कि निर्धारित मानकों पर खरा नहीं उतरने या **गलत प्रमाण पत्र** पेश करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

इस फैसले से राज्य सरकार की मंशा साफ है कि दिव्यांग कोटे में केवल वास्तविक रूप से पात्र अभ्यर्थियों को ही लाभ मिले और फर्जीवाड़ा करने वालों को सख्त सजा दी जाए।

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