भजनों में अभद्र,फ़ूहड़, अशोभनीय शब्दों का प्रयोग करने वाले लोगों का कड़ा विरोध, निंदा प्रस्ताव पारित

भजनों में अभद्र,फ़ूहड़, अशोभनीय शब्दों का प्रयोग करने वाले लोगों का कड़ा विरोध,  निंदा प्रस्ताव पारित
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भीलवाड़ा । श्री संगीत संस्थान मेवाड़ के कलाकारों की बैठक आज कोटड़ी श्याम दरबार में संगीत संस्थान के अध्यक्ष जगदीश जागा की अध्यक्षता में आयोजित की गई। भजन संध्याओं के नाम पर कार्यक्रमों हिन्दू देवी देवताओं के लिए अभद्र, अमर्यादित शब्दों का प्रयोग करने वाले एवं फ़ूहड़ भजन गाने वाले लोगों के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया गया। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि जो लोग अपने आप को कलाकार कहकर भजनों में सनातन धर्म के देवी-देवताओं के लिए अमर्यादित शब्दों का प्रयोग कर रहे हैं उन लोगों के साथ में कोई भी कलाकार बंधू साज-बाज पर संगत नहीं करें और ऐसे लोगों से दूरी बनाए रखें तथा उनका कड़ा विरोध करें,जो हमारे आराध्य और आस्था के केन्द्र पुजनीय देवी देवताओं के लिए अमर्यादित शब्दों का प्रयोग करके करोड़ों सनातनियों के मन को ठेस पहुंचाने का काम कर रहे हैं।

संगीत संस्थान के पूर्व अध्यक्ष एवं सलाहकार बद्रीलाल गाडरी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि जो नये नये कलाकार बन रहें हैं उन नवोदित कलाकारों को डायरेक्ट सीधे स्टेज पर प्रस्तूति न देकर पहले अनुभवी कलाकारों से प्रशिक्षण लेकर, मीरां, कबीर,दादू, रैदास,भैरव शंकर जी आदि के द्वारा रचित मर्यादित भजनों को गाना चाहिए। जिससे सुनने वाले और सुनाने वाले दोनों के जीवन का कल्याण हो सकें।

सत्यनारायण ब्यावट ने अपने उद्बोधन में कहा कि एक कहावत है कि एक मछली पूरे तालाब को गन्दा कर देती है, वैसे ही अपने आप को कलाकार कहने वाले कुछ लोग भजनों में फ़ूहड़, अभद्र व अमर्यादित शब्दों का प्रयोग करके चंद पैसों और प्रसिद्धि के लालच में संगीत के विषय में पूरे मेवाड़ क्षेत्र को बदनाम करने पर तुले हुए हैं। कुछ गिने-चुने लोगों द्वारा भजनों में अमर्यादित शब्दों का प्रयोग करने से आजकल हर कोई मेवाड़ के संगीत पर अंगुलियां उठाने लगा हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ उचित समय पर कार्यवाही नहीं की गई तो आने वाले समय में संगीत और भक्ति का माहौल और भी खराब हो जायेगा।

चित्तौड़गढ़ जिला कलाकार संगठन के जिलाध्यक्ष लक्ष्मी नारायण रावल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि संगीत और कला के क्षेत्र में हमारी पौराणिक और पारंपरिक विरासत आज लुप्त होने के कगार पर खड़ी हैं यदि समय रहते इसे उपयुक्त संरक्षण नहीं दिया गया तो आने वाले समय में कला एवं संस्कृति की धरोहर समाप्त हो जायेगी।

संगीत संस्थान के कोषाध्यक्ष दिनेश काबरा ने संस्थान द्वारा इस सत्र में अबतक सम्पन्न हुए सभी कार्यक्रमों की विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि संगीत संस्थान के सदस्यों को एक वर्ष पूर्व संस्थान के लिए आर्थिक सहयोग पात्र दिया गया था वो अति शीघ्र संस्थान में जमा करवा कर दूसरा नया पात्र करें। साथ ही मेवाड़ क्षेत्र में रहने वाले कलाकार जो अब तक भी श्री संगीत संस्थान मेवाड़ से नहीं जुड़े हैं, वे अति शीघ्र सदस्यता फार्म भर कर सदस्य बन सकते हैं।

बैठक में दुर्गा देवी सोनी ने अपनी विचार रखते हुए कहा कि जो कलाकार जैसी भी प्रस्तुतियां देते हैं तो लोग उनका अनुसरण करते हैं। वैसा ही सिखते है, इसलिए हमेशा अच्छे और शिक्षा प्रद भजनों की ही प्रस्तुतियां देनी चाहिए।

अमित पांचाल, घनश्याम वैष्णव व प्रवीण ब्यावट अपनी बात रखते हुए कहा कि सनातन धर्म के आराध्य भगवान के प्रति गलत व अशोभनीय शब्दों का प्रयोग करने वाले लोगों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही होनी चाहिए।

श्री संगीत संस्थान मेवाड़ के अध्यक्ष जगदीश जागा ने जानकारी देते हुए बताया कि श्री संगीत संस्थान मेवाड़ द्वारा दीपावली पर संस्थान द्वारा एक भव्य और एतिहासिक कार्यक्रम आयोजित करने तथा दिवंगत कलाकारों की स्मृति में एक विशाल श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित करने पर योजना बनाई जा रही है। इसमें सभी कलाकारों का सहयोग और समर्पण अपेक्षित है। बैठक में मुकेश सैनी, रामस्वप बारेठ,नंदकिशोर गोस्वामी,आदि ने अपने अपने विचार व्यक्त किए।

संगीत संस्थान मेवाड़ की बैठक में गोपाल लाल तेली, प्रभु लाल माली, प्रदीप कुमार, प्रवीण ब्यावट, दीपक कुमार पांचाल, कैलाश कुमावत, राजेंद्र सिंह कानावत, नाथू लाल पाराशर, घनश्याम वैष्णव, मुरलीधर राव, मीना सोनी, दिनेश काबरा, लक्ष्मी नारायण रावल, रामस्वरूप बारेठ,सत्यनारायण ब्यावट,गणेश सोनी, मुकुट दमानी, दुर्गा देवी सोनी सहित कई कलाकार उपस्थित थे।

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