सुदामा चरित्र हमें कठिनाइयों का सामना करने की देता है सीख - स्वामी जगदीश पूरी

भीलवाड़ा । विजय सिंह पथिक नगर स्थित अग्रवाल भवन में चल रही भागवत कथा के समापन पर श्री कृष्ण व सुदामा की मित्रता के प्रसंग पर श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। पूरा पंडाल कन्हैया के जयकारों से गूंज उठा। स्वामी जगदीश पूरी ने कहा कि सुदामा चरित्र हमें जीवन में आई कठिनाइयों का सामना करने की सीख देता है। सुदामा का नि:स्वार्थ समर्पण ही उनकी असली मित्रता को दर्शाता है।
भागवत कथा के श्रवण से मन आत्मा को परम सुख की प्राप्ति होती है। अपने मित्र का विपरीत परिस्थितियों में साथ निभाना ही मित्रता का सच्चा धर्म है। सच्चा मित्र वही है जो अपने मित्र को सही दिशा प्रदान करे, उसकी गलती पर उसे रोके और सही राह पर उसका साथ दे।
अग्रवाल समाज सेवा प्रन्यास, अग्रवाल महिला मंडल उत्तरी क्षेत्र, अग्रवाल युवा मंच के संयुक्त तत्त्वावधान में चल रही कथा में स्वामी ने कहा कि मित्रता करो, तो भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा जैसी करो। सच्चा मित्र वही है, जो अपने मित्र की परेशानी को समझे और बिना बताए ही मदद कर दे। परंतु आजकल स्वार्थ की मित्रता रह गई है। जब तक स्वार्थ सिद्ध नहीं होता है, तब तक मित्रता रहती है।
जब स्वार्थ पूरा हो जाता है, मित्रता खत्म हो जाती है। उन्होंने कहा कि सुदामा अपनी पत्नी के कहने पर मित्र कृष्ण से मिलने द्वारकापुरी जाते हैं। जब वह महल के गेट पर पहुंच जाते हैं, तब प्रहरियों से कृष्ण को अपना मित्र बताते है और अंदर जाने की बात कहते हैं। सुदामा की यह बात सुनकर प्रहरी उपहास उड़ाते है और कहते है कि भगवान श्रीकृष्ण का मित्र एक दरिद्र व्यक्ति कैसे हो सकता है।
प्रहरियों की बात सुनकर सुदामा अपने मित्र से बिना मिले ही लौटने लगते हैं। तभी एक प्रहरी महल के अंदर जाकर भगवान श्रीकृष्ण को बताता है कि महल के द्वार पर एक सुदामा नाम का दरिद्र व्यक्ति खड़ा है और अपने आप को आपका मित्र बता रहा है। द्वारपाल की बात सुनकर भगवान कृष्ण नंगे पांव ही दौड़े चले आते हैं और अपने मित्र सुदामा को रोककर गले लगा लिया। कहने लगे कि तुम अपने मित्र से बिना मिले ही वापस जा रहे थे। भगवान श्रीकृष्ण को सुदामा के गले लगा देखकर प्रहरी और नगरवासी अचंभित हो गए।भगवान कृष्ण-सुदामा को अपने साथ रथ पर बैठाकर महल के अंदर लेकर पहुंचे और मित्र को सिंहासन पर बैठाकर खुद नीचे बैठ गए। भगवान श्रीकृष्ण को नीचे बैठा देखकर उनकी रानियां भी दंग रह गई, कि कौन है जिन्हें भगवान सिंहासन पर बैठाकर खुद नीचे बैठे हैं। भगवान कृष्ण ने आंसुओं से मित्र के पैर धोए और पैर से कांटे निकाले। यह दृश्य देखकर महल में उपस्थित लोग भावुक हो गए। कथा के बीच अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो दर पे सुदामा गरीब आ गया है सहित अन्य भजनों पर श्रद्धालुओं ने नृत्य करते हुए जोर-जोर से जय श्रीकृष्ण के जयकारे लगाए।
कथा संयोजक मुकेश अग्रवाल ने बताया कि कथा का बुधवार शाम सुदामा चरित्र प्रसंग के बाद महाआरती से समापन हुआ। मुख्य सहयोगियों का महाराज श्री ने सम्मान किया। कथा में मुख्य रूप से प्रन्यास अध्यक्ष रघु मित्तल, संस्थापक महामंत्री सांसद दामोदर अग्रवाल, मुकेश अग्रवाल, बनवारी लाल मुरारका, जेके बागडोडिया, कैलाश प्रहलादका, कमल सरावगी, राजेंद्र मानसिंहका, अनूप बागडोदिया, पंकज नागोरी, मनोज बंसल, कमल कंदोई, मोहन सराफ, पंकज लोहिया, पंकज नेमानी, रामगोपाल अग्रवाल, कैलाश डीडवानानिया, राजेंद्र सुनील मानसिंहका, हर्षिल नागोरी, सुशील कुमार गोयनका, कुलदीप मानसिंहका, संजय निमोदिया, सरोज प्रहलादका, सुषमा मानसिंहका, मनीषा अग्रवाल, किरण सरावगी आदि ने सहयोग किया।