शरणागति जीवन के सभी दुखों का अंत कर देती है - स्वामी अच्युतानंद

भीलवाड़ा । श्री रामधाम रामायण मंडल ट्रस्ट द्वारा रामधाम में आयोजित चातुर्मास प्रवचन में केदारखण्ड, अगस्त्य मुनि आश्रम से पधारे स्वामी अच्युतानंद ने तुलसीदास जी की वाणी के माध्यम से प्रभु की शरणागति का महत्व बताया। उन्होंने लंका के राजकुमार विभीषण का उदाहरण देते हुए कहा कि जब विभीषण ने श्रीराम के चरणों में आकर कहा “नाथ, मैं आपकी शरण में आया हूँ”, तब प्रभु ने अपने अटल व्रत का उद्घोष किया व उसको लंका का राज्य दे दिया ,“सकृदपि प्रपन्नाय तवास्मीति च याचते।
अभयं सर्वभूतेभ्यो ददाम्येतद्व्रतम् मम॥” अर्थ – जो व्यक्ति एक बार भी मेरी शरण में आकर कहे कि मैं आपका हूँ, उसे मैं सभी प्राणियों से अभय देता हूँ; यह मेरा अटल व्रत है।) स्वामीजी ने कहा कि यह शरणागति केवल भय से मुक्ति नहीं देती, बल्कि जीवन के सभी दुखों का अंत कर देती है।प्रवचन में विशेष रूप से आगामी पर्व श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की चर्चा हुई। स्वामी ने बताया कि 16 अगस्त को रामधाम मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण का विशेष श्रृंगार किया जाएगा। इस दिन पुष्पों, रत्नाभूषणों और पारंपरिक परिधान से श्रीकृष्ण को अलंकृत कर माखन-मिश्री का भोग लगाया जाएगा। दिनभर भजन-कीर्तन, कथा व प्रसाद वितरण के कार्यक्रम होंगे, जिसमें सभी भक्त शामिल होकर आशीर्वाद प्राप्त कर सकेंगे। ट्रस्ट के सचिव अभिषेक अग्रवाल व प्रवक्ता गोविन्द प्रसाद सोडानी ने बताया कि प्रवचन के पश्चात ओम गोयल ने माल्यार्पण कर संत का सम्मान किया। रामधाम गौशाला में शेड निर्माण हेतु श्री शुभम सोनी ने 11,000 तथा रक्षित सोनी की ओर से भी ₹11,000 का सहयोग प्रदान किया। जन्माष्टमी पर 15 वर्ष तक के बच्चों की प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता 16 अगस्त को प्रातः 10 से 11 बजे तक रामधाम में होगी, जिसमें प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वालों को आकर्षक उपहार दिए जाएंगे। प्रणीत जैन ने गोशाला में गायों को लापसी डाली।चातुर्मास प्रवचन प्रतिदिन सुबह 9 बजे हो रहा है।