भीलवाडा के ईएसआई अस्पताल को शीघ्र केन्द्रीय निगम को ट्रांसफर करने में विलम्ब

भीलवाडा के ईएसआई अस्पताल को शीघ्र केन्द्रीय निगम को ट्रांसफर करने में विलम्ब
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भीलवाड़ा । केन्द्रीय कर्मचारी राज्य बीमा निगम नई दिल्ली की ओर से राज्य सरकार को भीलवाड़ा के ईएसआई हॉस्पीटल को केन्द्रीय कर्मचारी राज्य बीमा निगम को ट्रांसफर करने के अनुरोध के बावजूद भी अभी तक अस्पताल निगम को नहीं सौंपा गया। जिससे बीमित श्रमिकों को उचित उपचार उपलब्ध नही हो रहा है। मेवाड़ चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री की ओर से राज्य के मुख्यमंत्री को प्रतिवेदन भेजकर भीलवाडा के ईएसआई अस्पताल को शीघ्र केन्द्रीय निगम को ट्रांसफर करने का अनुरोध किया है।

मेवाड़ चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री के मानद महासचिव आर के जैन ने बताया कि चैम्बर की ओर से पूर्व में केन्द्र एवं राज्य सरकार को कई प्रतिवेदन भेजे गये। चैम्बर के प्रतिवेदन पर माननीय केन्द्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री महोदय मनसुख एल माँडविया के निर्देश पर कर्मचारी राज्य बीमा निगम मुख्यालय, नई दिल्ली से राज्य सरकार के श्रम विभाग को भीलवाड़ा ईएसआई को कर्मचारी राज्य बीमा निगम हस्तान्तरित करने का अनुरोध पत्र 29 सितम्बर 2023 को प्रेषित किया। भीलवाड़ा के सांसद एवं विधायक के अनुशंसा के बावजूद भी अभी तक भी यह प्रक्रिया लंबित पड़ी है। इस विलंब के कारण भीलवाड़ा एवं आसपास के लगभग चार लाख बीमित श्रमिकों एवं उनके परिवारों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त करने में कठिनाई हो रही है।

भीलवाड़ा एवं आसपास का क्षेत्र (भीलवाड़ा, गुलाबपुरा, चित्तोडगढ़ एवं कंाकरोली) जहां लगभग एक लाख से अधिक ईएसआई कार्ड धारक पंजीकृत है एवं कार्ड धारक एवं उनके परिवारों के चार लाख से अधिक व्यक्तियों को ईएसआई से चिकित्सा सुविधाएं प्राप्त होती है। इस क्षेत्र से प्रति वर्ष 10 करोड़ रुपये से भी अधिक राशि ईएसआई अंशदान के रुप मंे भुगतान की जाती है। अकेले भीलवाड़ा क्षेत्र मे 60 हजार से अधिक ईएसआई कार्ड धारक पंजीकृत है।

राज्य सरकार द्वारा लगभग 20 वर्ष पूर्व भीलवाड़ा में ईएसआई अस्पताल का निर्माण कराया गया। लेकिन इसमें बीमितों को इलाज की पूर्ण सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। इस अस्पताल में मात्र 50 बेड है लेकिन डॉक्टरों की वांछित संख्या से काफी कम डॉक्टर एवं अन्य स्टाफ होने से आमतौर से मरीज को एमजी हॉस्पिटल या जयपुर के बीमा अस्पताल को रेफर कर दिया जाता है। राज्य में सबसे ज्यादा अंशदान करने के बावजूद भी यहां सुविधाओं का अभाव है।

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