भक्ति की पराकाष्टा होगी जब हम बोलेंगे प्रभु मुझे अब कुछ नहीं चाहिए- राजन महाराज
भीलवाड़ा। नाविक केवट जब प्रभु श्रीराम से यह कहता है प्रभु मुझे अब कुछ नहीं चाहिए। जब ये शब्द निकले समझ लेना यह भक्ति की पराकाष्टा है। ये शब्द तभी निकलेगा जब हम महसूस होगा कि हम अपनी पात्रता से अधिक प्राप्त हो गया है। भगवान हमे भी ऐसी मति दे कि बोल सके हमारी पात्रता से बहुत ज्यादा दे दिया अब कुछ नहीं चाहिए। भगवान शंकर की भक्ति किए बिना रामजी की भक्ति नहीं मिलती पर रामचरित मानस में कई ऐसे प्रसंग है जब रामजी ने केवट जैसे भक्तों को नियम तोड़ भक्ति प्रदान की। हमेशा याद रखे हम अमृत पीकर नहीं आए धरती किराए का घर है इक दिना जाना ही पड़ेगा तो भक्ति करने में कभी पीछे नहीं रहे। ये विचार कथावाचक राजन महाराज ने श्रीसंकट मोचन हनुमान मंदिर ट्रस्ट एवं श्री रामकथा सेवा समिति के तत्वावधान में नगर निगम के चित्रकूटधाम में आयोजित नौ दिवसीय संगीतमय श्री रामकथा महोत्सव के सातवें दिन कथावाचन के दौरान व्यक्त किए।
संकटमोचन हनुमान मंदिर के महन्त बाबूगिरी महाराज के सानिध्य में आयोजित कथा में सातवें दिन राम का वन में महर्षि भारद्धाज, महर्षि वाल्मीकि, सुग्रीव से मिलन आदि प्रसंगों का वाचन किया गया। रामकथा श्रवण करने के लिए भक्तगण इस तरह उमड़े कि डोम भी छोटा प्रतीत हुआ ओर जिसे जहां जगह मिल रही वहीं बैठ भक्तिभाव से कथाश्रवण किया। कथा विश्राम दिवस 29 सितम्बर रविवार को चित्रकूटधाम में सुबह 10 से दोपहर 1 बजे तक होंगी।
व्यास पीठ पर विराजित राजन महाराज ने कहा कि जब तक शरीर में सामर्थ्य है जितना परमार्थ कर सकते हो कर लो अलग से परमार्थ करने के लिए हमे कोई समय नहीं मिलने वाला है। भाग्य में जो लिखा है वह चला गया तो भी वापस आ जाएगा ओर भाग्य में नहीं लिखा है तो जो है वह भी चला जाएगा। भगवान से कुछ मांगना है तो उनकी भक्ति मांगिए। उन्होंने कहा कि जीवन में सहज प्रेम करे जिसका प्रचार नहीं हो। जहां जताना पड़े वह प्रेम नहीं होता है। सहज प्रेम वह होता जिसका स्वयं को भी पता नहीं चलता। मन,वचन व काया से जब तक जीव छल का त्याग नहीं करेगा तब तक उसे जीवन में सुख प्राप्त नहीं हो सकता। हमेशा अपने पितरो को खुश रखने का प्रयास करे। पिता को सर्वाधिक खुशी संतान की सफलता पर मिलती है ओर वह चाहता है कि संतान उसके नाम से नहीं बल्कि वह संतान के नाम से पहचाना जाए।
राजन महाराज ने कहा कि सामने वाला आपको क्या मान रहा इसकी परवाह नहीं करे बल्कि आप स्वयं को क्या मान रहे यह देखे। दुनिया भले आपको भगवान बनाए पर आप स्वयं को कभी भगवान नहीं माने। भाषा चित की धरती है। जैसी हमारा चित होता है वैसी ही हमारी भाषा हो जाती है। हमे कहीं भी बोेलते है तो हमारी भाषा हमारे संस्कारों का परिचय कराती है। कथा के दौरान मंच पर कई पूज्य संत-महात्मा आदि भी विराजित थे।
राजन महाराज के व्यास पीठ पर विराजने के बाद एवं शाम को कथा विश्राम पर आरती करने वालों में मुख्य जजमान गोपाल राठी, माण्डलगढ़ विधायक गोपाल खण्डेलवाल, पूर्व विधायक विट्ठलशंकर अवस्थी, पूर्व सभापति ओम नराणीवाल, पूर्व जिला प्रमुख सुशीला सालवी, पूर्व यूआईटी चेयरमैन लक्ष्मीनारायण डाड, पुलिस उप अधीक्षक श्याम विश्नोई, मुकेश अग्रवाल, अनिल माथुर, प्रेम माथुर, डॉ.केसी पंवार, योगेश लढ़ा, सुभाष चुग, रणछोड़दास, राजीव सोनी, दिनेश त्रिवेदी, दिलीप तोषनीवाल, राजेश अग्रवाल, पवन नागौरी, राजेन्द्र सोनी, ललित व्यास, उदय कुमावत, भैरूप्रसाद पारीक, पप्पू शर्मा, प्रेम मेहता,यश शर्मा, जगदीश सेन, राधिका सर्राफ, उमादेवी व्यास, मंजूदेवी पंचोली, मधु तोषनीवाल, रेखा कंवर, सीमा सोनी, दीपा सोनी, सुरेखा सोनी, मंजू सोनी, मांगीदेवी जोशी, सलोनी शर्मा, वंदना शर्मा, मंजूला अग्रवाल, रेणु शर्मा, गायत्रीदेवी सोनी आदि भक्तगण शामिल थे।
विश्राम स्थल से कथास्थल तक रामचरित मानस की पोथी लाने-ले जाने वाले यजमान में श्री रामकथा सेवा समिति के मुख्य संरक्षक त्रिलोकचंद छाबड़ा, श्यामकुमार पीयूष डाड, सांवरमल कृष्णकुमार बंसल, बद्रीलाल सौरभ सोमाणी, अनिल कन्दोई, रामेश्वरलाल ईनाणी, गोविन्दप्रसाद लोहिया शामिल थे। श्री कुलदेवी बधरमाता सेवा समिति भीलवाड़ा के संरक्षक राधाकिशन सोमानी, जिलाध्यक्ष राधेश्याम सोमानी, जिला मंत्री देवेन्द्र सोमानी आदि पदाधिकारियों ने राजन महाराज को चांदी का गोटा भेंट कर स्वागत किया। कथा के शुरू में मंत्रोच्चार पंडित अशोक व्यास, पंडित देवेन्द्र शास्त्री, पंडित मुरली शास्त्री एवं पंडित विनोद शास्त्री ने किया। अतिथियों का स्वागत श्रीरामकथा सेवा समिति के अध्यक्ष गजानंद बजाज, सरंक्षक राधेश्याम सोमानी, समिति की महिला प्रमुख मंजू पोखरना, मोना डाड, डॉ.उमाशंकर पारीक, गोपाल झंवर, सुनील काबरा, संजय बाहेती, हेमन्त गर्ग आदि ने किया। मंच का कुशल संचालन पंडित अशोक व्यास ने किया।
जिंदगी किराए का घर है इसे एक न एक दिन बदलना पड़ेगा
श्रीराम कथा के दौरान राजन महाराज के मुखारबिंद से निरन्तर प्रभु भक्ति से ओतप्रोत जीवन के यर्थाथ का ज्ञान कराने वाले भजनों की गंगा प्रवाहित होती रही। भजनों पर कई श्रद्धालु नृत्य कर अपनी भावना का इजहार करते दिखे तो कई श्रद्धालु भावुक भी नजर आए। उन्होंने जब भजन जिंदगी एक किराए का घर है एक न एक दिन इसे बदलना पड़ेगा प्रस्तुत किया तो कई श्रद्धालु भावों के सागर में डूबे दिखे। उन्होंने मेरा राम केवल भजन में मिलेगा, हम सब मिलकर आए दाता तेरे दरबार, अगर नाथ देखेंगे अवगुण हमारे जैसे भजनों की प्रस्तुति से भी माहौल भक्ति से परिपूर्ण कर दिया।
राजन महाराज ने कहा कि भजन वह है जिसके प्रभाव से भजन नहीं करने वाला भी भजन करने लग जाता है। भजन के प्रभाव से जीवन में वैर विरोध समाप्त हो जाते है। भगवान को किसी भी साधन या उपाय से नहीं जाना जा सकता। भगवान को वहीं जान सकते जिसके लिए भगवान चाहेंगे कि वह उन्हें जाने। भगवान को जानने का नहीं मानने का प्रयास करे। दुनिया के सामने नहीं भगवान के सामने रोना जीवन का कल्याण हो जाएगा। शहर के सभी क्षेत्रों के साथ आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से भी हजारों लोग कथा सुनने के लिए चित्रकूटधाम पहुंचे थे। श्रीरामकथा सेवा समिति की ओर से कथास्थल पर श्रीराम भक्तों के लिए पेयजल, पार्किंग सहित सभी जरूरी व्यवस्थाएं की गई थी।
राजन महाराज ने किए श्रीनाथजी के दर्शन
भीलवाड़ा में श्रीराम कथा श्रवण कराने आए राजन महाराज ने शुक्रवार सुबह नाथद्वारा पहुंच भगवान श्रीनाथजी के दर्शन किए। उनके साथ श्री संकटमोचन हनुमान मंदिर के महन्त बाबूगिरी महाराज, महंत अखिलेश्वर दास महाराज, हाथीभाटा आश्रम के महन्त संतदास महाराज सहित श्रीराम कथा सेवा समिति के कई पदाधिकारी भी थे।