पिता की अर्थी को बेटा कंधा तो दे सका लेकिन मुखाग्नि नहीं

पिता की अर्थी को बेटा कंधा तो दे सका लेकिन मुखाग्नि नहीं
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भीलवाड़ा। नियति की क्रुरता कहें या ईश्वर की विडंबना या कोई ओर। एक घटना विडंबना जैसी है जहां जालिया द्वितीय गांव के निवासी समाजसेवी स्वर्गीय राधा कृष्ण नागला का सोमवार को निधन हुआ था जहां उनका आज जालिया द्वितीय गांव स्थित खारी नदी के मोक्ष धाम में अंतिम संस्कार किया गया जहां अंतिम संस्कार के लिए जालिया द्वितीय गांव के ब्रह्मपुरी मोहल्ले से स्वर्गीय राधा कृष्ण नागला की अंतिम यात्रा रवाना हुई। अंतिम यात्रा में अपने पिता राधा कृष्ण नागला को उनका बेटा महावीर प्रसाद नागला कंधा दे रहा था लेकिन उनके बेटे को यह पता नहीं था कि वह अपने पिता की अर्थी को कंधा तो दे पाएगए लेकिन मुखाग्नि नहीं दे सकेगा । अंतिम यात्रा मोक्ष धाम के पास पहुंची इस दौरान अपने पिता की अर्थी दे रहे महावीर प्रसाद अचानक गस खाकर गिर पड़े । अंतिम क्रिया संस्कार में शामिल लोगों ने तुरंत जालिया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया जहा प्राथमिक उपचार कर बिजयनगर रेफर किया गया लेकिन डॉक्टर भी महावीर प्रसाद को नहीं बचा पाए ऐसे में जब डॉक्टरों ने भी सुना कि उनके पिता का अंतिम क्रिया संस्कार हो रहा है तो बिजयनगर सहित जालिया गांव में शौक की लहर फैल गई । इस घटना के बाद जिसने भी इस घटना के बारे में सुना हर किसी की आंखों से नीर थमने का नाम नहीं ले रहा है और पूरे गांव में हर कोई अचसंभित हो गये।

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