अग्रवाल उत्सव भवन में श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ महोत्सव का तीसरा दिवस

भीलवाड़ा, । सत्संग जीवन को सुधार देती है तो कुसंगति जीवन बिगाड़ देती है। सत्संग हमारे भीतर के क्रोध को शांत कर आत्मज्ञान की प्राप्ति कराती है। सत्संग जीवन को शीतल करने के साथ हमारे सभी ताप हर लेती है। हर प्राणी में परमात्मा का वास होता है। परमात्मा का शुद्ध भाव से नाम लेने से जीवन आनंदमय बन जाता है ओर भजन करने वाला मतवाला बन जाता है। भगवान की भक्ति करने वाला सच्चे आनंद की अनुभूति करता है। ये बात शहर के रोडवेज बस स्टेण्ड के पास अग्रवाल उत्सव भवन में मंगलवार को पोरवाल परिवार की ओर से सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव दूसरे दिन व्यास पीठ से कथा वाचन करते हुए सोजत रामद्वारा के रामस्नेही संत श्री मुमुक्षु रामजी महाराज ने कहीं। तीसरे दिन देवसुति कपिल संवाद, जड़भरत अजामिल प्रहलाद चरित्र प्रसंग का वाचन हुआ। कथा में रामस्नेही संत डॉ. रामस्वरूप शास्त्री का भी सानिध्य प्राप्त हुआ। संत मुमुक्षु राम महाराज ने कहा कि भगवान का नाम सुमिरन करने वाला भवसागर से पार हो जाता है ओर जो उसे भूल जाता है वह जन्म मरण के चक्कर में फंसा रहता है। भगवान भक्त की भक्ति से प्रसन्न होता है चाहे वह कोई भी हो। पापी ओर दुराचारी भी सच्चे मन से साधु भाव से भगवान का सुमिरन करते है तो उसे भी स्वीकार कर मुक्ति प्रदान करते है। उन्होंने कहा कि प्रहलाद चारित्र ओर ध्रुव चारित्र यहीं बताता है कि सत्संग का प्रभाव जीवन पर अवश्य पड़ता है। उन्होंने बालपन में ही महात्मा की संगत की तो भगवान की प्राप्ति हो गई। भक्ति के लिए कोई उम्र नहीं होता है ओर उसके लिए बुढ़ापे का इंतजार नहीं करे क्योंकि कोई नहीं जानता कि जीवन में वह समय आएगा या नहीं। प्रहलाद चारित्र के वाचन के दौरान भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए भगवान द्वारा नृसिंह अवतार लेकर हिरण्यकश्यप वध का प्रसंग आया तो इसके माध्यम से भक्ति की महिमा बताई गई। संत मुमुक्षु रामजी ने कहा कि यदि हमारी भक्ति सच्ची हो तो भगवान अवश्य अपने भक्त की रक्षा करते है। ऐसी कोई जगह नहीं है जहां परमात्मा का वास नहीं हो पर प्रेम व भक्ति के बिना उनकी प्राप्ति नहीं हो सकती। हरे खंबे में नृसिंह बसे है पर उन्हें बाहर निकालने के लिए प्रहलाद जैसी भक्ति चाहिए। प्रहलाद चारित्र वाचन के दौरान भगवान नृसिंह ओर भक्त प्रहलाद की झांकी भी सजाई गई। कथा वाचन के दौरान बीच-बीच में भजनों की गंगा प्रवाहित होती रही। कथा के दौरान भजन जाग मुसाफिर जाग,रामजी को नाम म्हाने मीठो धनो लागे, राम नाम की लूट है सहित विभिन्न भजनों की ऐसी रसधारा प्रवाहित की गई कि श्रद्धालु स्वयं को थिरकने से नहीं रोक पाए। तीसरे दिन कथा के अंत में आरती करने के साथ व्यास पीठ का आशीर्वाद प्राप्त करने वाले अतिथियों में प्रादेशिक माहेश्वरी महासभा के पूर्व अध्यक्ष कैलाश कोठारी, भैरूलाल काबरा, सत्येन्द्र बिड़ला,रामकिशन सोनी,गोपाल नराणीवाल, ओमजी बियानी, गोपाल बिड़ला,रामगोपाल राठी, जगदीश बागला,घीसुलाल मरोठिया,सुरेश पोरवाल, राजेन्द्र पोरवाल आदि शामिल थे। अतिथियों का स्वागत पोरवाल परिवार के सदस्यों ने किया। श्रीमद् भागवत कथा का वाचन प्रतिदिन दोपहर एक से शाम 5 बजे तक हो रहा है। कथा में चौथे दिन बुधवार 24 दिसम्बर को श्री राम चरित्र एवं श्री कृष्णजन्म नंदोत्सव प्रसंग का वाचन होगा। शाम 7.30 बजे से कथा स्थल पर रासलीला का आयोजन होगा। इसी तरह 26 दिसम्बर को शाम 7.30 बजे से कथास्थल पर भक्ति संध्या का आयोजन होगा।
