शरीर की कीमत आत्मा के आधार पर है : जैनाचार्य महाराज

उदयपुर, । मालदास स्ट्रीट स्थित आराधना भवन में जैनाचार्य श्रीमद् विजय रत्नसेन सूरीश्वर महाराज की निश्रा में बडे हर्षोल्लास के साथ चातुर्मासिक आराधना चल रही है। संघ के कोषाध्यक्ष राजेश जावरिया ने बताया कि सोमवार को आराधना भवन में जैनाचार्य श्रीमद् विजय रत्नसेन सूरीश्वर ने प्रवचन देते हुए कहा जिस घर को सजाने में व्यक्ति अपने पूरे जीवन की कमाई लगा देता है और जिस परिवार के पालन-पोषण में व्यक्ति दिन-रात अथक परिश्रम करता है, व्यक्ति के मरने के बाद वे ही परिवार वाले उसके मूर्दे को बांधकर उस घर से बाहर निकाल देते है। श्मशान में जाकर जला देते है। शरीर की कीमत आत्मा के आधार पर है। आत्मा रहित शरीर की कोई कीमत नहीं है। फिर भी मोह की नींद में सोये हुए अधिकांश लोगों की हालत ऐसी है कि वे दिन रात मात्र शरीर, पुत्र-पत्नी-परिवार और पैसों के पीछे मेहनत करते है, आत्मा के सुख की याद तक नहीं आती है। चारगति रूप संसार में देवगति में अपार भौतिक सुख होने के कारण आत्म जागृति होना कठिन है। नरक गति में अपार दु:ख होने के कारण आत्म जागृति होना कठिन है और तिर्यंच गति में अपार भुख, अज्ञानता, अविवेक और अनक्षरता होने के कारण आत्म जागृति होना मुश्किल है। आत्म जागृति का अवसर मात्र मनुष्य गति में ही मिल सकता है। परंतु मोह की निद्रा के कारण प्राय: अधिकांश लोग इस मनुष्य जन्म की कीमत नहीं समझते है।. इस मोह की निद्रा से आत्म जागृति का उपाय मात्र धर्मोपदेश श्रवण से ही शक्य है। विनयपूर्वक धर्मोपदेश श्रवण करने से आत्म जागृति आएगी। इस अवसर पर कोषाध्यक्ष राजेश जावरिया, अध्यक्ष डॉ.शैलेन्द्र हिरण, नरेंद्र सिंघवी, हेमंत सिंघवी, भोपालसिंह सिंघवी, गौतम मुर्डिया, प्रवीण हुम्मड सहित कई श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रही।