गृहणियों को महंगाई से राहत: रसोई में खुशियों की बहार: सब्जियों के दामों में कमी से फिर लौटा स्वाद

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भीलवाड़ा (हलचल) । भीलवाड़ा में सब्जियों के दामों में आई भारी गिरावट ने गृहणियों के चेहरों पर मुस्कान बिखेर दी है। कुछ समय पहले तक टमाटर, हरी मिर्च, भिंडी और गोभी जैसे रोजमर्रा के खान-पान का हिस्सा बनने वाली सब्जियों के आसमान छूते दामों ने रसोई का जायका बिगाड़ दिया था। लेकिन अब बारिश के मौसम के साफ होने के बाद मंडियों में सब्जियों की बंपर आवक ने कीमतों को जमीन पर ला दिया है। गृहणियां अब राहत की सांस ले रही हैं, क्योंकि उनकी थाली में फिर से तड़के की खुशबू और स्वाद की रौनक लौट आई है।

मंडियों में सब्जियों का मेला

भीलवाड़ा की कृषि मंडी और अजमेर पुलिया वाली मंडी में सब्जियों की आवक ने बाजार को रंगीन कर दिया है। टमाटर, हरी मिर्च, पत्तागोभी, धनिया और भिंडी जैसी सब्जियों के दामों में भारी कमी देखी जा रही है। मंडी के आढ़तिया मथुरा लाल माली ने बताया कि फूलगोभी को छोड़कर बाकी सभी सब्जियों के थोक दामों में जबरदस्त गिरावट आई है। उदाहरण के लिए, टमाटर जो पहले खुदरा बाजार में 80-100 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया था, अब थोक में 35-40 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। हरी मिर्च, जो कभी 100-120 रुपये प्रति किलो थी, अब 15-20 रुपये में उपलब्ध है। लौकी 5-6 रुपये, करेला 15-20 रुपये, और तरोई 8-10 रुपये प्रति किलो तक बिक रही है। पत्तागोभी, भिंडी और कद्दू भी 8-10 रुपये प्रति किलो की दर से मिल रहे हैं, जबकि आलू 10-12 रुपये और प्याज 15-16 रुपये प्रति किलो पर उपलब्ध हैं। उन्‍होंने बताया क‍ि स्‍थानीय और बाहर से बड़ी मात्रा में सब्‍ज‍ियों की आवक हो रही है इसके चलते सब्‍जि‍यों के भाव ग‍िर गये है।




किसानों की चिंता, गृहणियों की खुशी

यह गिरावट जहां गृहणियों के लिए खुशखबरी है, वहीं सब्जी उत्पादक किसानों के लिए चुनौती बन गई है। मंडी में खरीदारों की कमी के कारण किसानों को अपनी उपज औने-पौने दामों में बेचनी पड़ रही है। अजमेर पुलिया मंडी में सब्जियां बेचने आई एक महिला किसान ने अपनी व्यथा साझा करते हुए कहा, "खेत से सब्जियां इकट्ठा करो, टेम्पो से मंडी लाओ, लेकिन लागत तो छोड़ो, भाड़ा भी मुश्किल से निकल रहा है। अगर यही हाल रहा तो पशुओं को चारे की जगह सब्जियां खिलानी पड़ेंगी, क्योंकि हरा चारा भी इनसे महंगा हो गया है।" यह स्थिति दर्शाती है कि बाजार में संतुलन की जरूरत है।




रसोई में लौटी तड़के की महक

सब्जियों के दामों में कमी ने गृहणियों की रसोई में फिर से रौनक ला दी है। अब वे कम बजट में भी स्वादिष्ट और पौष्टिक व्यंजन बना सकती हैं। चाहे चटपटी भिंडी हो, तीखी मिर्च की सब्जी हो, या टमाटर की ताजगी से भरा सलाद, रसोई में अब हर तरह का जायका तैयार हो रहा है। गृहणियां इस राहत से उत्साहित हैं, क्योंकि अब उनकी थाली में रंग और स्वाद दोनों लौट आए हैं।

पुलिया की मण्‍डी में बनेड़ा से सब्‍जी बेचने आई सुशीला का कहना है कि‍ बीस रुपए में 12-13 क‍िलो की लौकी थैली ब‍िक रही हैै। ऐसे में उन्‍हें खेत से मण्‍डी तक सब्‍ज‍ियां लाना महंगा पड़ रहा है। भाड़ा भी नहीं न‍िकल रहा हैै । उन्‍होंने प्रश्न क‍िया क‍ि ऐसा क्‍या हो गया क‍ि भीलवाड़ा में सब्‍ज‍ियां सस्‍ती हो गई। जबक‍ि जयपुर में सब्‍ज‍ियों के दाम आसमान छू रहे है।

मेजा बांध क्षेत्र से भि‍ंंडी बेचने आये सब्‍जी व‍िक्रेता का कहना था क‍ि पहले जहां तीन सौ से चार सौ रुपए में दस बारह क‍िलो की थैली बि‍कती थी वहां आज उसे चालीस रुपए में भी कोई खरीदने को तैयार नहीं है। ऐसे में हमे खासा नुकसान उठान पड़ रहा है।

बनेड़ा के एक अन्‍य क‍िसान डालू माली आज लौकी बेचने पुल‍िया की मण्‍डी आया था लेक‍िन यहां आकर स‍िर पकड़ ल‍िया । लौकी की थैली बीस रुपए थैली में भी नहीं ब‍िकी। नींबू भी लेकर आया था लेक‍िन वह भी सात आठ रुपए क‍िलो से ज्‍यादा नहीं ब‍िके। ऐसे में उसे खासा नुकसान उठाना पड़ा है। उसने बताया क‍ि मेहनताना भी नहीं म‍िल पा रहा है।

थोक मण्डी में जहां सब्जियों औने पौने दामों में बिक रही है जहां कोई खरीददार नहीं है लेकिन छुटकर मण्डी में इनके भाव ज्यादा कम नहीं हुए है। सांगानेरी गेट स्थित सब्जी मण्डी में विके्रता देऊ माली ने बताया कि लौकी 15 रुपए, भिण्डी और करेला 20 रुपए, फूल गोभी 60 रुपए, पत्ता गोभी 20 रुपए, टमाटर 60 रुपए, गंवारफली 60 रुपए, काचरा 30 रुपए, आलू 20 रुपए, प्याल 15 रुपए, टिंसी 10 रुपए और नींबू 20 रुपए प्रति किलो बिक रहे है।



एक अन्य विक्रेता किस्मत ने बताया कि सब्जियों के खरीददार भी नहीं है जबकि कुछ दिन पहले सब्जियों की मारा मारी थी और ऊंची कीमत पर बेची जा रही थी। पुष्पा नामक सब्जी विक्रेता का कहना था कि सब्जियां सस्ती होने से शाम के समय तो आधी कीमत में बेचने पर मजबूर होना पड़ रहा है और कई लोग तो अपने पशुओं को खिलाने के लिए घास की जगह सब्जियां खरीदकर ले जा रहे है।

उम्मीद


सब्जियों के दामों में यह कमी गृहणियों के लिए तो राहत लेकर आई है, लेकिन किसानों की मुश्किलों को देखते हुए सरकार और स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि वे उचित मूल्य सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाएं। इससे उपभोक्ताओं और उत्पादकों के बीच संतुलन बना रहेगा। फिलहाल, भीलवाड़ा की गृहणियां इस राहत का भरपूर आनंद ले रही हैं और उनकी रसोई में फिर से स्वाद की बहार छा गई है।

होलसेल रेट उदाहरण के लिए:

टमाटर: 35-४० रुपये प्रति किलो बिकने लगा टमाटर जो खुदरा बाजार में 80-100 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया था ।

हरी मिर्च: पहले 100-120 रुपये किलो बिकने वाली मिर्च अब15-20 रुपये किलो तक बिक रही है।




लोकि : पहले 100-१२० रुपये किलो बिकने वाली अब 5-6 रुपये किलो तक बिक रही है।

करेला : पहले 80-९० रुपये किलो बिकने वाले अब15-20 रुपये किलो तक बिक रहा है।

तरोई: पहले 70-80 रुपये किलो बिकने अब8-10 रुपये किलो तक बिक रही है।

लहसुन: 60 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है।

ग्वारफली :15- 20 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है।

खीरा : 60 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है।

पत्तागोभी : 8 से 10 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है।

भिंडी : 8 से 10 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है।

कद्दू : 3 से 4 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है

फूलगोबी : 25 से 30 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है

आलू : 10 से 12 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है

प्याज :15 से 16 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है



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