धनोप माता में चित्तौड़ी अष्टमी पर लगा भक्तों का तांता

धनोप (राजेश शर्मा)। भीलवाड़ा जिले के फुलियां कलां उपखंड के प्रसिद्ध आस्था का केंद्र शक्तिपीठ धनोप माता के चित्तौड़ी अष्टमी पर हजारों की तादाद में भीड़ उमड़ी। श्रद्धालुओं ने भारी भीड़ में लंबी कतार में खड़े रहकर माता के दर्शन किए। वहीं श्रद्धालुओं ने माता से मन्नत मांगी। यहां फूल-पत्ती से होती है भक्तों की मनोकामना पूर्ण। भक्तों द्वारा मां के चढ़ावें के प्रसाद में मन्नत मांगने पर फूल-पाती आती है तो श्रद्धालुओं की मन्नत पूर्ण हो जाती है। अगर मैया रानी फूल-पाती नहीं देती तो श्रद्धालु कुछ दिनों बाद फिर मां के दरबार में आकर दर्शन कर मन से अपनी मुराद मांगते हैं। इस तरह हर भक्त की धनोप मां मुराद पूरी करती है। जिससे यहां प्रत्येक सप्तमी-अष्टमी व शनिवार-रविवार को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती है।
भक्तों की मन्नत पूरी होने पर मां के दरबार मे रसोईया करते हैं जिसमें चूरमा बाटी का भोग लगाते हैं। चितौड़ी अष्टमी पर पुजारी गोपाल पंडा व कालु पंडा ने सुबह की आरती से ही भक्तों द्वारा चढा़ए गए प्रसाद व प्रसादी का निज मंदिर आभामंडल में मां के भोग लगाकर भक्तों को वितरित किए। वहीं धनोप माताजी प्रांगण में राज्य सरकार द्वारा संचालित अन्नपूर्णा रसोई उपलब्ध है जिसमें सुबह शाम दोनों समय 8 रुपए में खाना खिलाया जाता है। लेकिन स्थानीय कर्मचारियों की लापरवाही से सप्तमी रविवार सुबह से अन्नपूर्णा रसोई बंद है। उच्च अधिकारी इस और ध्यान नहीं दे रहे हैं। महीने में 10 दिन बंद होने की शिकायत मिलती रहती है। रोजमर्रा भोजन करने वाले शिकायत करते हैं कि कभी तो गैस की टंकी खत्म हो गई, कभी आटा खत्म हो गया, कभी चाबी घर पर भूल गए। यह कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं।
सरकार द्वारा चलाई जा रही अन्नपूर्णा रसोई नियमित चालू नहीं रहने से रोजमर्रा भोजन करने वाले व्यक्तियों को परेशान होना पड़ता है। ताला लगा हुआ देखकर बेरिंग लोटना पड़ता है।इस दौरान श्रद्धालु और यात्रीगण अन्नपूर्णा रसोई का इंतजार करते रहे। वहीं सोमवार अष्टमी को भी अन्नपूर्णा रसोई बंद पायी गयी। जिससे भोजन के लिए हुई दुविधा का सामना करना पड़ा। जिसको लेकर आमजन में काफी आक्रोश व्यक्त हुआ।