आज दस्तक संस्था द्वारा स्वामी विवेकानंद की 161वीं जयंती मनाई
भीलवाड़ा पेसवानी दस्तक संस्था के कुणाल ओझा ने बताया की स्वामी विवेकानंद की जयंती हर वर्ष मनाई जाती है। 1984 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने 'अन्तरराष्ट्रीय युवा वर्ष' घोषित किया था। भारत सरकार ने 1984 में आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय युवा दिवस घोषित किया और 1985 से युवाओं को स्वामी विवेकानन्द की शिक्षाओं और दर्शन से प्रेरित करने के लिए इसे देश भर में मनाया जाता है।
स्वामी विवेकानंद का जीवन हर युवा के लिए प्रेरणास्त्रोत है इसलिए युवाओं के लिए इस दिन विशेष रूप से आयोजन किए जाने चाहिए, जिससे कि उन्हें जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती रहे।
स्वामी विवेकानंद ने अपने जीवन का हर क्षण देश के लिए समर्पित कर दिया। उनका पूरा जीवन हर किसी के लिए एक मिशाल की तरह है।
स्वामी विवेकानंद समाज के सुधार के लिए शिक्षा की शक्ति में विश्वास करते थे और चरित्र-निर्माण और मूल्य-आधारित शिक्षा के महत्व पर जोर देते थे। अपने भाषणों और लेखों के माध्यम से उन्होंने अनगिनत लोगों को प्रेरित किया और भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान को दुनिया भर में पहुंचाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
स्वामी जी विशेषकर युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत थे। उन्होंने प्रेरणादायक संदेशों से लोगों को जीवन का सही अर्थ समझाया। उनकी कहानियां आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं। गुरु रामकृष्ण परमहंस से शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने लोगों की करने का निश्चय किया। वे चाहते थे कि सभी को जीवन का असली उद्देश्य पता चले, इसलिए उन्होंने प्रेरणादायक बातें लोगों को बताईं।
स्वामी विवेकानंद के विचार और भाषण आज भी युवाओं को सफलता के पथ पर आगे बढ़ने की सीख देते हैं। उन्होंने सांसारिक मोह-माया को त्यागकर ईश्वर और ज्ञान की खोज में अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनके अनमोल विचार हर युवा के जीवन में मार्गदर्शक का काम करते हैं। इसलिए स्वामी विवेकानंद की जयंती को युवा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
प्रतिवर्ष इस दिवस को वृहद स्तर पर मनाया जाना चाहिए ताकि उनके अनमोल विचारों को जन जन तक पहुँचाया जा सके।
इस मौक़े पर दस्तक संस्था के कुणाल ओझा, मानवेन्द्र कुमावत, विक्रम सिंह। राठौड़,धर्मवीर सिंह कनावत ,पंकज जैन, अमित जैन, नरेंद्र गुर्जर, उदयलाल बोराणा, शरद शुक्ला, सत्यवीर सिंह,प्रवीण मीना, धर्मेंद्र तिवारी, रोशन सालवी,रवि ओझा, आदि उपस्तिथ् थे