परिवहन उड़न दस्ते की दबंगई ,ट्रक ड्राइवर से मारपीट, जबरन ले जाकर कराया मुकदमा दर्ज, गुस्साए चालकों ने किया चक्का जाम

परिवहन उड़न दस्ते की दबंगई ,ट्रक ड्राइवर से मारपीट, जबरन ले जाकर कराया मुकदमा दर्ज, गुस्साए चालकों ने किया चक्का जाम
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गंगरार में परिवहन विभाग की मनमानी और अत्याचार एक बार फिर खुलकर सामने आया है। गंगरार टोल पर परिवहन उड़न दस्ते के कर्मियों पर ट्रक ड्राइवर के साथ मारपीट करने और जबरन उठाकर ले जाने का गंभीर आरोप लगा है। इसके बाद ड्राइवर को गंगरार पुलिस थाने ले जाकर छोड़ दिया गया और उसी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया गया। इस घटना से गुस्साए ट्रक चालकों ने गंगरार टोल रोड पर चक्का जाम कर दिया, जिससे दोनों ओर दो किलोमीटर से ज़्यादा लंबा जाम लग गया।

जानकारी के अनुसार, गंगरार टोल पर परिवहन उड़न दस्ता चेकिंग कर रहा था। इसी दौरान एक ट्रक को रोका गया और ड्राइवर से कागजात मांगे गए।

ड्राइवर का कहना है की मैंने ट्रक को साइड में लगाकर कागजात दिखाने की बात की तब तक परिवहन विभाग के कर्मचारी ने जबरन ट्रक की चाबी निकाल ली, और चला गया में जंब चाबी लेने गया और कहा कि ट्रक साइड में लगाउ तब एक कर्मचारी ने मुजे डंडा मारा और जबरदस्ती बिठा कर थाने ले आए और मेरे खिलाफ मामला दर्ज करा दिया ।

परिवहन दस्ते के अधिकारी हरि गोविंद गुर्जर के अनुसार, चेकिंग के दौरान एक ट्रक को रोका गया, जो निर्धारित सीमा से अधिक माल लदा हुआ था। इंस्पेक्टर ने ड्राइवर को गाड़ी को तोल काटे पर ले जाने का निर्देश दिया, ताकि उचित कार्रवाई की जा सके। लेकिन ड्राइवर ने इस निर्देश का पालन नहीं किया और कथित रूप से गाली-गलौच करने लगा। इसके बाद, उसने ट्रक को बीच सड़क पर खड़ा कर दिया, जिससे यातायात बाधित हो गया।

स्थिति को नियंत्रित करने और यातायात को सुचारू करने के लिए, आरटीओ टीम ने मजबूरन ड्राइवर को गंगरार पुलिस थाने ले जाकर उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया।

इस कार्रवाई के बाद, ट्रक ड्राइवरों में नाराजगी फैल गई और उन्होंने गंगरार टोल रोड पर जाम लगा दिया, जिससे दोनों ओर लगभग डेढ़ किलोमीटर तक वाहनों की लंबी कतारें लग गईं।

स्थिति को बेकाबू होते देख डिप्टी प्रभु लाल गुर्जर और थाना प्रभारी डीपी दाधीच मौके पर पहुंचे। उन्होंने ट्रक चालकों से बातचीत कर स्थिति को संभालने की कोशिश की। काफी मशक्कत और समझाइश के बाद ड्राइवरों ने जाम हटाया और यातायात बहाल किया गया।

परिवहन विभाग पर फिर उठे सवाल

यह घटना परिवहन विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करती है। सवाल यह है कि जब ड्राइवर निर्दोष था, तो उसके खिलाफ मुकदमा क्यों दर्ज किया गया… क्या यह परिवहन अधिकारियों की अपनी गड़बड़ियों को छिपाने की कोशिश थी …अब देखना होगा कि इस मामले में प्रशासन कोई सख्त कदम उठाता है या फिर यह मामला भी दबा दिया जाएगा।

परिवहन मंत्रालय एक तरफ़ तो ड्राइवरों को सुविधाएं देने की बात करता है, वहीं दूसरी ओर विभाग के कुछ कर्मचारियों द्वारा ड्राइवरों के साथ इस तरह की घटनाये कारित करना मंत्रालय की नीतियों और जमीनी हकीकत के बीच संदेह उत्पन्न करता है।

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