सच्ची मित्रता धन और सामाजिक स्थिति से परे - महंत मोहन शरण

भीलवाड़ा । श्री निबार्क पारमार्थिक सेवा ट्रस्ट एवं ओम शांति सेवा संस्थान वृद्धाश्रम के तत्वावधान में मंगरोप रोड स्थित वृद्धाश्रम में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ के विश्राम पर कथा वाचक निंबार्क आश्रम के महंत मोहन शरण शास्त्री ने कहा कि सप्ताह में सात वार होते हैं। अगर यह बिगड़ जाए तो संत की कृपा से ठीक हो जाएंगे लेकिन आठवां वार परिवार है जो एक बार बिगड़ गया तो पूरा जीवन बिगड़ जाता है। इसीलिए पहले परिवार को सुरक्षित करो परिवार सुरक्षित है तो आप समाज को सुरक्षित कर पाओगे। समाज को सुरक्षित रख पाए तो गांव को सुरक्षित रख पाओगे गांव को सुरक्षित रख पाए तो राष्ट्र को सुरक्षित रख पाओगे। तभी इस राष्ट्र में बैठकर भजन व गोविन्द की सेवा कर पाओगे। संत ने भागवत के सुदामा चरित्र प्रसंग में बताया की सुदामा चरित्र सच्ची मित्रता, भक्ति और निस्वार्थ प्रेम के महत्व को दर्शाता है। यह कहानी हमें सिखाती है कि भगवान अपने भक्तों की हमेशा मदद करते हैं, भले ही उनकी परिस्थितियां कैसी भी हों। यह हमें यह भी सिखाता है कि सच्ची मित्रता धन और सामाजिक स्थिति से परे होती है। सुदामा और कृष्ण की मित्रता हमें सिखाती है कि हमें अपने मित्रों के प्रति वफादार और उदार होना चाहिए, और उनकी मुश्किलों में उनका साथ देना चाहिए।
समिति के नेहा- विपिन दीक्षित ने बताया कि कथा के दौरान सातवें दिन कृष्ण रुक्मणी व सुदामा जी की सजीव झांकी सजाई गई। श्री कृष्ण व रुक्मणी बने बालक बालिकाओं ने सुदामा जी के चरण धोए। माल्यार्पण कर उनका अभिनंदन किया। यह सब दृश्य श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र रहे। कथा के दौरान प्रस्तुत भजन.. अरे द्वारपालो कन्हैया से कह दो, दर पे सुदामा गरीब आ गया है, सुनते ही दौड़े चले आए मोहन, लगाया गले से, प्रेम रस घोला.. पर भक्त झूम उठे। अंत में फुलों की होली में भक्त झूम उठे और खूब नृत्य किया।
आयोजन समिति की नीलम दिनेश शर्मा ने बताया कि कथा के दौरान राजेंद्र मुथा, टोंक न्यायाधीश प्रशांत शर्मा, उच्च न्यायालय सचिव सतीश खांडल, उच्च न्यायालय से डेनी मिश्रा, विवेकानंद शर्मा, युवा ब्रह्मा शक्ति मेवाड़ के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेश पुरोहित के अलावा प्रदेशभर से दो दर्जन से अधिक संतों व महंतों ने संत मोहन शरण का माल्यार्पण कर अभिनंदन किया। संत श्री ने सभी को दुपट्टा पहन कर आशीर्वाद दिया। मंच संचालन डॉक्टर एस के शर्मा ने किया। कथा आयोजन समिति ने कथा में प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग करने वाले सभी महानुभावों का आभार जताया।