हरि शेवा उदासीन आश्रम में श्रद्धा, भक्ति और पर्यावरण चेतना के साथ मनाया गया तुलसी पूजन दिवस

भीलवाड़ा। मूलचन्द पेसवानी हरि शेवा उदासीन आश्रम स्थित सनातन मंदिर परिसर में आज तुलसी पूजन दिवस अत्यंत श्रद्धा, भक्ति और आस्था के साथ मनाया गया। इस पावन अवसर पर आश्रम परिसर भक्तिमय वातावरण में सराबोर रहा, जहां श्रद्धालुओं ने विधिवत पूजा-अर्चना कर माता तुलसी के प्रति अपनी आस्था प्रकट की। आचार्य सत्यनारायण शर्मा द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के साथ तुलसी माता की पूजा सम्पन्न करवाई गई। कार्यक्रम महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन के पावन सान्निध्य में आयोजित हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु, संत-महात्मा एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
इस दौरान तुलसी पूजन दिवस के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया गया कि भारतीय सनातन परंपरा में तुलसी माता को अत्यंत पवित्र एवं पूजनीय स्थान प्राप्त है। शास्त्रों में उल्लेख है कि माता तुलसी में माता लक्ष्मी एवं भगवान विष्णु का वास माना जाता है। तुलसी पूजन से घर-परिवार में सुख, शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी माता मोक्ष प्रदान करने वाली हैं और उनके पूजन मात्र से ही जीवन के अनेक कष्ट दूर हो जाते हैं।
कार्यक्रम के दौरान संतों एवं विद्वानों ने बताया कि तुलसी न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि स्वास्थ्य की दृष्टि से भी अत्यंत लाभकारी मानी जाती है। तुलसी के औषधीय गुणों के कारण इसे आयुर्वेद में विशेष स्थान प्राप्त है। यह वातावरण को शुद्ध करने, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और मानसिक शांति प्रदान करने में सहायक मानी जाती है। इसी कारण प्राचीन काल से ही भारतीय घरों में तुलसी का रोपण एवं नियमित पूजन की परंपरा चली आ रही है।
तुलसी पूजन के अवसर पर आश्रम परिसर को भव्य रूप से सजाया गया। दीप प्रज्वलन, पुष्प अर्पण, धूप-दीप एवं मंत्रोच्चार के साथ माता तुलसी की आराधना की गई। श्रद्धालुओं ने पूरे भाव-विभोर होकर पूजा में भाग लिया। वातावरण में “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” और तुलसी माता के जयकारों की गूंज सुनाई देती रही, जिससे संपूर्ण परिसर भक्तिरस से ओतप्रोत हो गया।
महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन ने अपने उद्बोधन में कहा कि तुलसी पूजन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह सनातन संस्कृति, प्रकृति संरक्षण और पर्यावरण संतुलन का भी प्रतीक है। उन्होंने कहा कि आज के भौतिकवादी युग में प्रकृति के संरक्षण का संदेश अत्यंत आवश्यक है और तुलसी जैसे पवित्र पौधों का रोपण एवं संरक्षण इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने श्रद्धालुओं से अपने घरों, मंदिरों एवं सार्वजनिक स्थलों पर तुलसी सहित अन्य पौधों को लगाने और उनकी सेवा करने का आह्वान किया।
कार्यक्रम के अंत में सभी श्रद्धालुओं ने तुलसी माता के चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित किए और देश, समाज एवं परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की। इस अवसर पर संत मायाराम, संत राजाराम, गोविन्द राम, ब्रह्मचारी इंद्रदेव, कुनाल, सिद्धार्थ, मिहिर, चांदमल सोमानी, रविंद्र जाजू, रमेश मूंदड़ा, महावीर खंडेलवाल सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे। कार्यक्रम शांतिपूर्ण, सुव्यवस्थित एवं आध्यात्मिक वातावरण में संपन्न हुआ।
