रामधाम में तुलसीदास जयंती महोत्सव धूमधाम से मनाया

भीलवाड़ा, । श्री रामधाम रामायण मंडल ट्रस्ट द्वारा आयोजित तुलसीदास जयंती महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। हमीरगढ़ रोड स्थित रामधाम में बुधवार सुबह अनिल बिड़ला की देखरेख में शुरू हुआ अखंड रामचरितमानस पाठ गुरुवार रात 2.30 बजे सम्पन्न हुआ। पाठ में बिड़ला लगातार निर्जल रहकर एक ही जगह बैठे रहे ओर पाठ पूर्ण करवाया। नंदू बाई लड्ढा, नवल भारद्वाज अरविन्द नामधारानी, राकेश सिंगल, संजीव गुप्ता सहित कई भक्तों ने सहयोग किया। सुबह 7:30 बजे तुलसीदास जी की आरती हुई। पंडित रमाकांत शर्मा ने विशेष प्रस्तुतीकरण दी। अंत में रामनाम संकीर्तन व आरती के बाद अध्यक्ष सूर्यप्रकाश मानसिंहका ने सभी का आभार व्यक्त किया। ट्रस्ट के प्रवक्ता गोविंद प्रसाद सोडानी ने बताया कि पाठ के दौरान भक्तों ने हर दो घंटे के अंतराल पर सेवा दी। इसके बाद सुबह 9 बजे से 10:30 बजे तक संत समागम का आयोजन हुआ। इसमें संत रामदास रामायणी, परिव्राजाचार्य स्वामी अच्युतानंद (केदारखंड) और वेदांताचार्य संत ज्ञानानंद (हरिद्वार) ने प्रवचन दिए। उन्होंने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास जी एक महान संत, कवि और विचारक थे, जिनके विचार आज भी हमारे जीवन को सही राह दिखाते हैं। उनकी शिक्षाएं मुख्य रूप से धर्म, नैतिकता, और भक्ति पर आधारित हैं। तुलसीदास जी कहते हैं कि दया सभी धर्मों का आधार है और अहंकार सभी पापों की जड़ है। उनका मानना था कि जब तक हमारे भीतर दया का भाव है, हम धर्म के रास्ते पर चलते रहेंगे। वहीं अहंकार हमें पतन की ओर ले जाता है, जैसा कि रावण और कंस जैसे शक्तिशाली पात्रों के साथ हुआ। मीठे वचन बोलने से चारों ओर सुख और प्रेम का माहौल बनता है। कठोर वचन बोलने के बजाय मीठा बोलना एक ऐसा मंत्र है, जिससे किसी को भी अपने वश में किया जा सकता है। तुलसीदास जी के अनुसार, जब जीवन में मुश्किलें आती हैं, तो ये सात चीजें हमारा साथ देती हैं: ज्ञान (विद्या), विनम्रता (विनय), बुद्धिमत्ता (विवेक), साहस, अच्छे कर्म (सुकृति), सच्चाई (सत्यव्रत), और भगवान राम पर विश्वास। ये गुण हमें हर मुश्किल से बाहर निकलने में मदद करते हैं। ईश्वर ने संसार को कर्म प्रधान बना रखा है, इसमें जो मनुष्य जैसा कर्म करता है, उसको वैसा ही फल प्राप्त होता है। तुलसीदास जी का मानना है कि यह संसार कर्म के आधार पर चलता है। हम जैसा कर्म करते हैं, हमें वैसा ही फल मिलता है। इसलिए हमें हमेशा अच्छे कर्म करने चाहिए। जिस व्यक्ति की तृष्णा जितनी बड़ी होती है, वह उतना ही बड़ा दरिद्र होता है। तृष्णा यानी इच्छाओं का कोई अंत नहीं होता। तुलसीदास जी कहते हैं कि जिस व्यक्ति की इच्छाएं जितनी अधिक होती हैं, वह उतना ही गरीब होता है। संतोष में ही असली सुख है।
ये सभी बातें हमें एक नैतिक और संतुष्ट जीवन जीने की प्रेरणा देती हैं। इससे पहले मंगलवार को रामधाम में स्वामी अच्युतानंद और अनिल भाई के नेतृत्व में रामायण पर आधारित अंताक्षरी का सफल आयोजन किया गया, जिसमें भक्तों ने भजन भी गाए।
ट्रस्ट के सचिव अभिषेक अग्रवाल ने जानकारी दी कि चातुर्मास के तहत प्रतिदिन सुबह 9 बजे से रामधाम में प्रवचन हो रहे हैं, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग ले रहे हैं। इसके अतिरिक्त, श्रावण मास के उपलक्ष्य में रामधाम के शिवालय में भी विशेष धार्मिक अनुष्ठान किए जा रहे हैं। पंडित सुशील शुक्ला, पंडित रमाकांत शर्मा और पंडित रामू आचार्य सहित अन्य विद्वान पंडितों के मंत्रोच्चार के बीच प्रतिदिन सुबह और शाम भगवान शिव का अभिषेक और श्रृंगार किया जा रहा है, जिससे पूरा वातावरण भक्तिमय बना हुआ है। गुरुवार को अभिषेक शिव सोडानी, ललित अग्रवाल ने किया। श्याम मुंदडा ने गायों को लापसी खिलाई।
