नाकोड़ा भैरूनाथ मंदिर में आस्था का अनूठा संगम: पुजारी धनराज की 90-दिवसीय कठोर तपस्या

नाकोड़ा भैरूनाथ मंदिर में आस्था का अनूठा संगम: पुजारी धनराज की 90-दिवसीय कठोर तपस्या
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भीलवाड़ा -प्रहलादराय तेली -आस्था और विश्वास का एक अद्भुत आध्यात्मिक केंद्र के रूप मे प्रसिद्ध भीलवाड़ा चितोडगढ़ सीमा पर भीलवाड़ा जिले हमीरगढ़ से 2 किलोमीटर दूर स्थित सादी गांव के प्रसिद्ध नाकोड़ा भैरूनाथ नीमड़ी वाले सगसजी मंदिर के मुख्य पुजारी, धनराज शर्मा, 90 दिनों की एक कठोर तपस्या में लीन हैं। यह तपस्या मंदिर के पांचवें पाटोत्सव के उपलक्ष्य में 12 जुलाई को शुरू हुई थी और 11 अक्टूबर को इसकी पूर्णाहुति होगी। उनकी यह तपस्या, जिसमें वे बिना अन्न और जल ग्रहण किए रह रहे हैं, भक्तों के बीच गहरी श्रद्धा और कौतूहल का विषय बनी हुई है।

तपस्या का संकल्प और विधि

यह कोई पहली बार नहीं है जब पुजारी धनराज शर्मा ने ऐसी कठोर तपस्या का संकल्प लिया है। वर्ष 2021 में पहले पाटोत्सव पर उन्होंने 21 दिनों की तपस्या की थी। इसके बाद 2022 में 30 दिन, 2023 में 45 दिन और 2024 में 33 दिनों की तपस्या की। इस साल, उन्होंने अपनी तपस्या की अवधि को बढ़ाकर 90 दिन कर दिया है, जो उनकी अटूट भक्ति और दृढ़ संकल्प को दर्शाता है।

उनकी इस तपस्या को दो चरणों में विभाजित किया गया है। पहले 50 दिन, जो 12 जुलाई से शुरू हुए, उन्होंने केवल देसी गाय के गोमूत्र का सेवन करते हुए अखंड रामायण पाठ का वाचन किया। यह चरण उनकी आध्यात्मिक शक्ति और शारीरिक सहनशीलता का प्रतीक है, जिसमें वे बिना किसी ठोस आहार के केवल तरल पदार्थ पर निर्भर रहे। तपस्या के इस भाग में, वे लगातार राम नाम का जप करते रहे, जिससे पूरा मंदिर परिसर भक्तिमय हो गया।

तपस्या का दूसरा और अंतिम चरण 40 दिनों का है, जिसमें वे अन्न और जल का पूर्णतः त्याग कर मौन व्रत धारण करेंगे। इस दौरान वे नारियल के गोले, घी और शक्कर की आहुतियों से हवन करेंगे। उनकी तपस्या की कठोरता यहीं नहीं रुकती। इन 40 दिनों में वे बिना सोए, एक पैर पर खड़े रहकर हवन और अपनी साधना जारी रखेंगे। यह अत्यंत कठिन साधना है, जो सामान्य व्यक्ति की कल्पना से परे है।

मंदिर परिसर में धार्मिक अनुष्ठान

पुजारी धनराज की तपस्या के साथ-साथ, नाकोड़ा भैरूनाथ मंदिर में कई अन्य धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं। तपस्या के शुभारंभ के साथ ही यहां कन्या भोजन, गायों को घास खिलाने और रोजाना कबूतरों को दाना डालने का पुण्य कार्य किया जा रहा है। ये सभी कार्य न केवल धार्मिक महत्व रखते हैं बल्कि समाज में सेवा और दया का संदेश भी देते हैं।

गत 12 अगस्त से 11 सितंबर तक, पांच पंडितों के वैदिक मंत्रोच्चार के साथ अखंड रामायण पाठ और रामकथा का आयोजन हुआ। इसके साथ ही, शिवमहापुराण कथा का वाचन भी किया जा रहा है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु कथा सुनने और नाकोड़ा भैरूनाथ के दर्शन करने पहुंच रहे हैं।

आने वाले कार्यक्रम और पाटोत्सव

पुजारी की तपस्या के पूर्ण होने के अवसर पर, मंदिर परिसर में और भी बड़े आयोजन होने हैं। 12 सितंबर से 11 अक्टूबर तक, भागवत कथा और नानी बाई का मायरो कथा का आयोजन किया जाएगा। इन कथाओं से मंदिर में आध्यात्मिक माहौल और भी गहरा होगा।

11 अक्टूबर को मंदिर का पांचवां पाटोत्सव मनाया जाएगा, जो पुजारी धनराज शर्मा की 90-दिवसीय तपस्या की पूर्णाहुति का दिन होगा। इस शुभ अवसर पर, रात 8 बजे से प्रभु इच्छा तक भव्य भजन संध्या का आयोजन होगा, जिसमें देश-प्रदेश के कई जाने-माने गायक अपनी मधुर भजनों की प्रस्तुति देंगे।

मुख्य पुजारी धनराज शर्मा की यह तपस्या न केवल उनकी व्यक्तिगत साधना है, बल्कि यह सनातन धर्म की उस महान परंपरा का भी हिस्सा है, जहाँ कठोर तप और त्याग से ईश्वर की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। यह घटना सादी गांव और आसपास के क्षेत्रों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बन गई है, जो यह दर्शाती है कि सच्ची आस्था और दृढ़ इच्छाशक्ति से कुछ भी असंभव नहीं है।

यह स्थान आध्यात्मिक शक्ति का केंद्र बना हुआ है यंहा सैकड़ो लोग अपनी मनोकामना लेकर आते है।

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