चंद्रभागा नदी में अवैध बजरी दोहन के खिलाफ ग्रामीणों का अनिश्चितकालीन धरना

पोटलां। उपतहसील क्षेत्र से होकर बहने वाली चंद्रभागा नदी में हो रहे अवैध बजरी दोहन के विरोध में एक दर्जन गांवों के सैकड़ों ग्रामीण सोमवार को अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए। खजुरिया गांव के पास नदी किनारे श्मशान घाट के समीप टेंट लगाकर ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन शुरू किया।
धरने पर बैठे लोगों ने आरोप लगाया कि अवैध बजरी खनन से नदी का स्वरूप लगातार बिगड़ रहा है। नदी का तल खोखला हो रहा है, जगह-जगह गहरे गड्ढे बन गए हैं, जलस्तर तेजी से गिर रहा है और पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंच रहा है। इससे क्षेत्र में जानलेवा हादसों की आशंका भी बढ़ गई है। ग्रामीणों का कहना है कि अवैध खनन में प्रशासनिक मिलीभगत के आरोप पहले भी लगते रहे हैं। हाल ही में अवैध खनन रोकने के लिए बड़े स्तर पर पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की गई, लेकिन इसके बावजूद समस्या जस की तस बनी हुई है।
प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि खनन माफिया के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए, दोषियों को निलंबित कर विभागीय जांच की जाए। साथ ही ड्रोन और आधुनिक तकनीक से नियमित निगरानी हो, पटवारी और ग्राम पंचायत को जिम्मेदार बनाकर पाबंद किया जाए। ग्रामीणों ने नदी का प्राकृतिक स्वरूप बहाल करने और दोषियों से मुआवजे की वसूली की भी मांग उठाई।
धरना स्थल पर मौजूद मदन दास वैष्णव, राजू सिंह राजपूत, नारायण लाल जाट सहित अन्य ग्रामीणों ने बताया कि अरावली पर्वतमाला से देवगढ़ के चखा-चक महादेव से निकलकर समेला महादेव मंदिर तक बहने वाली चंद्रभागा नदी भीलवाड़ा और राजसमंद जिले के बड़े भू-भाग के लिए जीवनदायिनी है। अवैध खनन और प्राकृतिक बहाव के संतुलन के बिगड़ने से नदी का अस्तित्व संकट में पड़ गया है।
ग्रामीणों ने बताया कि चंद्रभागा नदी पर फूंकिया बांध, सरदारगढ़ बांध, चंद्रभागा बांध और रायथलियास बांध बने हुए हैं। यह नदी नेगड़िया का खेड़ा, गोवलिया, खजूरिया, खांखला, उदलियास, सातलियास, पोटलां, धागडास और माझावास सहित एक दर्जन से अधिक गांवों से होकर बहती है, जिससे किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिलता है। अवैध बजरी दोहन के कारण जलस्तर लगातार गिरता जा रहा है और नदी का प्राकृतिक बहाव अक्सर फूंकिया बांध तक ही सीमित रह गया है।
ग्रामीणों का कहना है कि दिन-रात डंपर और ट्रैक्टर बिना रोक-टोक नदी से बजरी निकाल रहे हैं। फूंकिया बांध से माझावास तक कई स्थानों पर नदी का तल अत्यधिक गहरा कर दिया गया है, जिससे प्राकृतिक बहाव बाधित हो रहा है और चंद्रभागा नदी धीरे-धीरे अपना मूल स्वरूप खोती जा रही है।
