मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान से ग्रामीण परेशान, 23 साल पुरानी सूची खोजने में दिक्कत

मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान से ग्रामीण परेशान, 23 साल पुरानी सूची खोजने में दिक्कत
X

भीलवाड़ा जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में मतदाता सूची में नाम जोड़ने के लिए चल रहे पुनरीक्षण अभियान ने आम लोगों के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई एसआईआर (Systematic Information Revision) प्रक्रिया के तहत मतदाता सूची में अपडेट करने के लिए पुराने दस्तावेजों की मांग की जा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि उनके पास वर्ष 2002 की मतदाता सूची की कोई जानकारी नहीं है और कई लोग अपने रंगीन पासपोर्ट आकार के फोटो तक नहीं रख पाए हैं।

**विवाहित महिलाओं को सबसे ज्यादा मुश्किलें**

विशेषकर उन महिलाओं के लिए यह प्रक्रिया कठिन साबित हो रही है, जो 23 साल पहले अन्य जिलों या राज्यों से विवाह कर जिले में आईं। इन महिलाओं को वर्ष 2002 की मतदाता सूची में अपने माता-पिता का नाम दिखाना अनिवार्य है, अन्यथा उनका नाम नई सूची में शामिल नहीं किया जा सकेगा।

ग्रामीण क्षेत्रों में literacy कम होने के कारण आवेदन पत्र भरवाना भी चुनौतीपूर्ण हो गया है। इसके अलावा, कई महिलाओं के पास पीहर की मतदाता सूची या कोई प्रमाणपत्र उपलब्ध नहीं है। अधिकारियों ने बताया कि 42 साल या उससे कम उम्र की महिलाओं के लिए माता-पिता का नाम 2002 की सूची में होना अनिवार्य है।

**बीएलओ दस्तक दे रहे, लेकिन समस्याएं कम नहीं**

मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान के तहत जिले में बीएलओ मतदाताओं के घर दस्तक दे रहे हैं और आवेदन पत्र वितरित कर रहे हैं। प्रशासनिक अधिकारी निर्वाचन विभाग की गाइडलाइन के अनुसार मॉनिटरिंग कर रहे हैं। बावजूद इसके ग्रामीणों को आवश्यक दस्तावेज जुटाने में काफी कठिनाई हो रही है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि इससे बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटने की आशंका है। अधिकारी भी इस समस्या को गंभीरता से देख रहे हैं और लोगों से अपील कर रहे हैं कि जितनी जल्दी हो सके जरूरी दस्तावेज जुटा लें।

**सुझाव और समाधान**

विशेषज्ञों का मानना है कि ग्रामीणों की मदद के लिए मोबाइल camps और दस्तावेज़ verification सेंटरों का संचालन किया जाना चाहिए। इसके अलावा बीएलओ को अधिक सक्रिय बनाकर लोगों को दस्तावेज़ बनाने और आवेदन भरने में सहायता देनी चाहिए, ताकि मतदाता सूची में किसी भी व्यक्ति का नाम गलती से हटने का खतरा न रहे।

यह अभियान चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और सटीकता के लिए जरूरी है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में इसे लागू करने में मौजूदा चुनौतियों का समाधान करना प्रशासन के लिए अहम कार्य बन गया है।

Next Story